द करंट स्टोरी,भोपाल। रेलवे में इमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ काम करने की हर कर्मचारी और अधिकारी शपथ लेता है, लेकिन भोपाल रेल मंडल के हालात को देखते हुए ऐसा लगता है कि अधिकारियों ने इस शपथ को भुला दिया है। भोपाल रेल मंडल के मुखिया, डीआरएम साहब को अपने मातहत काम करने वाले सभी अधिकारी इमानदार लगते हैं। शायद यही कारण है कि आरटीआई से प्रमाणित होने पर भी भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर डीआरएम साहब ने चुप्पी साध रखी है। डीआरएम द्वारा नोटिस का जवाब न देना कहीं न कहीं उनकी मंशा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।
अप्रैल 2018 में आयोजित रेल पुरस्कार समारोह के दौरान भोपाल रेल मंडल में लगभग दो करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। 'द करंट स्टोरी' ने 29 अगस्त और 31 अक्टूबर को खबर प्रकाशित करके इस घोटाले का खुलासा किया। खबर पर संज्ञान लेते हुए भोपाल के क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) ने डीआरएम भोपाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। लेकिन डीआरएम भोपाल ने नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया। उसके बाद आरटीओ ने दूसरा नोटिस भेजकर पुन: जवाब मांगा। बावजूद इसके डीआरएम भोपाल शोभन चौधरी ने आज दिनांक तक आरटीओ को कोई जवाब नहीं दिया है।
क्या है मामला?
रेल पुरस्कार के लिए मंडल ने 172 गाड़ियों को 3 दिन के लिए किराए पर लिया था। इसके लिए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। नियमों की अनदेखी करते हुए मंडल के वरिष्ठ मेकेनिकल इंजीनियर (सीनियर डीएमई) ने बिना कोई जांच किए ही टैक्सी संचालक को लगभग 70 लाख का भुगतान कर दिया। हद तो यह हुई कि जिन गाड़ियों का पंजीयन परिवहन कार्यालय में हुआ ही नहीं उन गाड़ियों के नंबर पर भी भुगतान किया गया। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:
आरटीओ द्वारा जारी नोटिस पर ट्वीट करके महाप्रबंधक ने भी कार्यवाही के लिए कहा, लेकिन भोपाल डीआरएम ने आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की है।
क्यों नहीं हो रही कार्यवाही?
आरटीओ के नोटिस और महाप्रबंधक के ट्वीट के बाद भी डीआरएम द्वारा दोषी अधिकारियों पर कोई कार्यवाही न करना और नोटिस का जवाब न देना, कहीं न कहीं उनकी कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा करता है। ऐसा नहीं है कि डीआरएम को पूरे घोटाले की जानकारी न हो, फिर भी उनके द्वारा कोई भी कार्यवाही न किया जाना उनकी मंशा या फिर विशेष लालसा को लेकर लोगों के मन में कई तरह की जिज्ञासा उत्पन्न कर रहा है।
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