द करंट स्टोरी, भोपाल। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की उम्मीद जागी कि 15 साल बाद उनका भला होगा। लेकिन इसके उलट कई भाजपा समर्थित अधिकारियों का जलवा बरकरार है। ऐसा ही एक मामला भोपाल नगर निगम से जुड़ा हुआ है। तत्कालीन भाजपा सरकार के नेताओं के लिए काम करने की शिकायत पर तीन अधिकारियों को विधानसभा चुनाव के पहले भोपाल नगर निगम से बाहर तबादला कर दिया गया था। लेकिन चुनाव समाप्त होने के तुरंत बाद इनमें से दो अधिकारी वापस अपने पद पर आसीन हो गए।
कांग्रेस सरकार बनने के बाद से यह कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा समर्थित अधिकारियों को लूप लाइन में भेजा जाएगा। लेकिन भोपाल नगर निगम के एक अधिकारी तो मलाईदार पोस्टिंग की जुगाड़ में लग गए। इन साहब की मंशा है कि या तो सिंगरौली नगर पालिका में सीएमओ का पद मिले या फिर भोपाल विकास प्राधिकरण में डिप्टी सीईओ बनाया जाए।
इसके लिए इन अधिकारी ने प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह से रिश्तेदारी निकालने का पूरा प्रयास किया, इसी का नतीजा है कि मंत्री जी इस मामले में विशेष रुचि दिखा रहे हैं। मंत्री जी शायद यह भूल गए हैं कि कांग्रेस पार्टी की शिकायत पर ही चुनाव आयोग ने इनका तबादला बाहर किया था।
आपको बता दें कि इन्हीं अधिकारी की संदिग्ध नियुक्ति संबंधित दस्तावेज नगर निगम परिषद में नेता प्रतिपक्ष मो. सगीर ने दिखाकर जांच की मांग की थी।
अब देखना मजेदार होगा कि मंत्री जी की विशेष कृपा इन भाजपा समर्थित अधिकारी को मिलती है या फिर यह लूप लाइन में जाएंगे।
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