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मंदिरों जैसी घंटी बजाकर ड्रायवर चलाएंगे ट्रेन, एमटीआर ने दिया सुझाव

Exclusive Aug 08, 2018       2381
मंदिरों जैसी घंटी बजाकर ड्रायवर चलाएंगे ट्रेन, एमटीआर ने दिया सुझाव

द करंट स्टोरी, भोपाल। भारतीय रेलवे भले ही सुरक्षा और या​त्री सुविधाएं न दे पाए, पर कुछ अधिकारियों के अजीबोगरीब फरमान निश्चित ही परेशानी का सबब बन जाते हैं और कभी कभी हंसी के पात्र भी बन जाते हैं। भोपाल मंडल के तत्कालीन डीआरएम आलोक कुमार ने हादसों को रोकने के लिए कंट्रोल रुम में हवन तक करा दिया था, लेकिन रेलवे बोर्ड में पदस्थ मेंबर ट्रेक्शन (एमटीआर) धन्श्याम सिंह द्वारा दिए गया सुझाव तो वाकई बड़ा अजीबोगरीब है। एमटीआर ने ट्रेन चलाने से पहले सभी ड्रायवरों को मंदिरों जैसी घंटी बजाने की सलाह दे दी। इसको लेकर कई मंडलों में तैयारी भी हो चुकी है और कुछ ने तो इस घंटी में बकायदा रक्षासूत्र भी बंधवा दिया है। 

दरअसल मेंबर ट्रेक्शन ने तीन मई को वडोदरा स्टेशन का निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण के बाद उन्होंने एक रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी जिसमें कहा गया है कि स्टेशन परिसर में ट्रेन के ड्रायवरों के लिए बने लॉबी रुम में एक घंटी (मंदिरों जैसे) लगाने से स्पाड (SPAD) की घटनाओं में कमी आएगी। साथ ही यह भी कहा गया है कि ड्रायवर ट्रेन चलाने से पहले घंटी को बजाएं ताकि स्पाड में कमी आए और सभी सतर्क हो जाएं। 

रेलवे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि एमटीआर के इस निरीक्षण रिपोर्ट को रेलवे बोर्ड में पदस्थ निदेशक इलेक्ट्रिल इंजीनियरिंग (जनरल) ने सभी जोन के महाप्रबंधकों को इस रिपोर्ट में दी गई जानकारियों और सुझावों को अमल में लाएं। 

खैर जो भी हो लेकिन ​यदि इस अंधविश्वास से स्पाड जैसी घटनाओं में कमी आती है तो इसे करने में कोई बुराई नहीं लगती। 

क्या होता है स्पाड?
जब भी ट्रेन सिग्नल तोड़कर आगे बढ़ जाती है तब उसे स्पाड कहते हैं। ऐसा करने से संरक्षा में चूक मानी जाती है और ड्रायवरों को चार्जशीट तक जारी हो जाती है। भोपाल रेल मंडल में ऐसे कई मामले हैं जहां ट्रेन के ड्रायवरों ने सिग्नल लाल होने पर भी गाड़ी आगे बढ़ा दी है। 

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