द करंट स्टोरी, भोपाल। भ्रष्टाचार पर कोई ठोस कार्यवाही न होने का नतीजा यह है कि भोपाल रेल मंडल में अधिकारियों के हौसले बुलंद हैं। रेल पुरस्कार के दौरान गाड़ियों के फर्जी नंबरों पर भुगतान करने के बाद भी रेलवे के आला अधिकारियों द्वारा जिम्मेदार पर कोई कार्यवाही न करने और भ्रष्ट अधिकारियों को शह देने का असर अन्य शाखाओं पर भी पड़ने लगा है। ऐसे ही एक मामले में भोपाल रेल मंडल के इंजीनियरिंग शाखा ने पिछले लगभग 8 महीनों से एक टेंडर को होल्ड कर रखा है जबकि टेंडर कमेटी के दो सदस्य इस पर असहमति व्यक्त कर चुके हैं।
द करंट स्टोरी को रेलवे के सूत्रों के मिली जानकारी के अनुसार लगभग 8 महने पहले मंडल के गुना - ग्वालियर सेक्शन में 'फॉर्मेशन ट्रीटमेंट' (Formation Treatment) का एक टेंडर खुला था। इस टेंडर में इंजीनियरिंग शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने चहेते को काम दिलवाने के लिए टेक्निकल कारणों को आधार बनाकर एक ही कंपनी को शॉर्टलिस्ट किया था। चहेती कंपनी को काम देने के लिए इंजीनियरिंग शाखा द्वारा बनाए गए आधार को टेंडर कमेटी के अन्य दो सदस्यों - 'सीनियर डीईई टीआरओ एवं सीनियर डीएफएम', ने अपनी आपत्ति दर्ज करा दी।
आपत्ति के बाद भी टेंडर को रद्द नहीं किया गया। ऐसे में सवाल खड़े होते हैं कि आखिर इंजीनियरिंग शाखा ने इस टेंडर को होल्ड क्यों किया है?
वहीं सूत्रों की मानें तो इंजीनियरिंग शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी के ठेकेदार के साथ करीबी संबंध हैं। अधिकारी की मंशा पूरी तरह से संदेहास्पद है। वहीं नियमानुसार टेंडर के रेट 6 महीनों तक ही वैध होते हैं। ऐसे में ठेकेदार कंपनी द्वारा दिए गए आॅफर स्वत: ही निरस्त हो गए हैं।
मामले पर इंजीनियरिंग शाखा ने कोई जवाब नहीं दिया है। एसएमएस करके भी सवाल पूछा गया पर अधिकारी द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया।
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