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हबीबगंज स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने से पहले ही बंसल कंपनी कमाएगी 4 करोड़ से ज्यादा, रेलवे को लगेगा चूना

Exclusive Apr 29, 2017       9192
हबीबगंज स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने से पहले ही बंसल कंपनी कमाएगी 4 करोड़ से ज्यादा, रेलवे को लगेगा चूना

द करंट स्टोरी, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए, रेल मंत्रालय ने देश में 40 से ज्यादा वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने का निर्णय लिया और इसकी शुरुआत भोपाल के हबीबगंज स्टेशन से हुई। रेलवे ने हबीबगंज स्टेशन का मालिकाना हक वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने वाली कंपनी 'बंसल पाथवे' को 2 मार्च को ही सौंप दिया। जबकि स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनने में लगभग 3 साल का समय लगेगा। स्टेशन के प्रायवेट हो जाने से रेलवे को होने वाली सलाना लगभग 4 करोड़ रुपए की आय अब बंसल कंपनी को मिलेगी। जिसका मतलब है कि बिना कोई काम किए ही प्रायवेट कंपनी को मुनाफा!

पश्चिम मध्य रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द करंट स्टोरी को नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भोपाल रेल मंडल को हबीबगंज स्टेशन से हर महीन लगभग 35 लाख रुपए यानि सलाना 4 करोड़ रुपए से ज्यादा की आय होती है। लेकिन स्टेशन को प्रायवेट हाथों में सौंपने के साथ ही इस आमदनी पर अब रेलवे का नहीं बल्कि बंसल कंपनी का अधिकार हो गया है। 

अधिकारी ने आगे बताया कि नियमानुसार, पीपीपी मोड पर जो भी कांट्रेक्ट होते हैं, उन सभी में प्रायवेट कंपनी तभी आय कर सकती है जब उसने काम या निर्माण पूरा कर लिया हो। जैसे कि देश में कई सड़कों का निर्माण पीपीपी मोड पर ही हो रहा है लेकिन सभी में ठेकेदार या निर्माण कंपनी, टोल टैक्स तभी वसूलती है जब सड़क निर्माण पूरा हो गया हो। अभी तक रेलवे में भी ऐसा ही होता आया है। लेकिन इस बार रेलवे ने अपने सभी नियमों को दरकिनार कर दिया है। 

4 करोड़ रुपए केवल मुनाफा, आय तो और ज्यादा!
अधिकारी ने बताया कि हबीबगंज स्टेशन से होने वाली आय तो ज्यादा है, लेकिन सारे भुगतान और खर्चे काटने के बाद रेलवे को लगभग 4 करोड़ रुपए का मुनाफा होता था। प्रायवेट कंपनी ने स्टेशन का आधिपत्य मिलते ही कई कटौतियां कर दी हैं, जिससे कंपनी को लगभग 6 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा होने की उम्मीद है।

कहां से होती है आमदनी:
रेलवे के आय के विभिन्न स्त्रोत हैं, जिनमें लायसेंस फीस और विज्ञापन प्रमुख है। हबीबगंज स्टेशन में लगभग 40 से ज्यादा फूड स्टॉल हैं, जिनसे करोड़ों रुपए बतौर लायसेंस फीस रेलवे को मिलती है। वहीं पार्किंग के ठेके से भी रेलवे को मुनाफा होता है। इसके अतिरिक्त स्टेशन परिसर में विज्ञापन के लिए लगे होेर्डिंग्स से भी रेलवे को मोटी फीस मिलती है। लेकिन अब इनसे होने वाली आय पर बंसल कंपनी का हक होगा।

यहां होता है खर्च:
रेलवे हर महीने कई कार्यों में पैसे खर्च करता है जैसे कि स्टेशन की साफ सफाई, बिल्डिंग मेंटनेंस वर्क, आदि। हबीबगंज स्टेशन से होने वाली आय से यह सब खर्चे किए जाते हैं। इन सब खर्चों के बाद रेलवे को सलाना लगभग 4 करोड़ रुपए की बचत होती थी, यानि कि मुनाफा।  

एग्रीमेंट की शर्तों को रखा गोपनीय:
रेलवे के अन्य अधिकारी ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने इस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी दस्तावेजों को गोपनीय कर रखा है और सूचना के अधिकार में जानकारी न देने के मौखिक निर्देश दिए हैं। सूत्रों की मानें तो एग्रीमेंट में स्टेशन का मालिकाना हक ठेकेदार को काम पूरा करने के बाद दिए जाने का उल्लेख है।

रेलवे बोर्ड से लगातार आ रहे थे फोन:
भोपाल रेल मंडल के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर द करंट स्टोरी को बताया कि हबीबगंज स्टेशन को बंसल कंपनी को हैंडओवर करने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था। इतना ही नहीं एक दिन मे दो से तीन बार तक रेलवे बोर्ड से फोन आते थे। हैंडओवर करते समय कुछ ब्रांच अ​धिकारियों ने आपत्तियां भी लीं थीं, लेकिन किसी भी आपत्ति को रिकॉर्ड में नहीं लिया गया।

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