द करंट स्टोरी, भोपाल। रेलवे स्टेशनों की सफाई को लेकर शायद रेलवे बोर्ड संजीदा नहीं है। हाल ही में रेलवे बोर्ड ने एक आदेश जारी करके स्टेशनों में नए वाशेबल अप्रैन बनाने पर रोक लगा दी है। इस आदेश से शायद स्टेशनों की सफाई पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
भोपाल रेल मंडल के प्रबंधक (DRM) शोभन चौधरी ने द करंट स्टोरी को बताया कि रेलवे बोर्ड ने 5 जुलाई को आदेश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि अब स्टेशनों पर वाशेबल अप्रैन नहीं बनेंगे। आदेश में कहा गया है कि 2019 तक समस्त ट्रेनों के कोच में बायो टॉयलेट लग जाएंगे जिससे कि अब वाशेबल अप्रैन बनाने की आवश्यकता नहीं है। बायो टॉयलेट लगने से पटरियों पर गंदगी नहीं गिरेगी इसलिए वाशेबल अप्रैन बनाने पर रोक लगाई है।
क्यों बनते है वाशेबल अप्रैन
स्टेशनों में ट्रेनों के ठहराव के दौरान टॉयलेट का उपयोग होने से मल और मूत्र पटरियों पर गिरता है, जिससे गंदगी होती है। इसी को साफ करने के लिए स्टेशन में पटरियों पर गिट्टी की जगह सीमेंट का फर्श बनाया जाता है, जिसे वाशेबल अप्रैन कहते हैं।
आदेश की प्रति के लिए क्लिक करें
बायो टॉयलेट नहीं है सफल
रेलवे से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में सभी नए कोचों में इन्हीं टॉयलेट को फिट किया जा रहा है। लेकिन इनमें कई तरह कि परेशानियां आ रही हैं, जैसे कि टॉयलेट चोक होना, सही समय पर रिचार्जिंग न होना, आदि। इस कारण लंबी दूरी की ट्रेनों में बायो टॉयलेट से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
सफाई व्यवस्था पर पड़ेगा असर!
रेलवे से जुड़े लोगों का मानना है कि वाशेबल अप्रैन पर रोक लगाने से सफाई पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। सभी कोचों में बायो टॉयलेट लगाने में अभी लगभग दो से तीन साल लगेंगे, जिसके बाद यह आदेश शायद तार्किक होता। लेकिन अभी से रोक लगाने पर कई स्टेशनों की सफाई व्यवस्था बिगढ़ सकती है।
Comment