द करंट स्टोरी, भोपाल। आप सबने शायद गीले हो चुके पुराने 500 और 1000 रुपए के नोट को पंखे या धूप में सूखाने के बाद उस पर प्रेस किया होगा, ताकि नोट चल सके। और ऐसा होता भी था, कईयों बार बारिश के मौसम में यह तरकीब बहुत काम आती थी।
लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। 8 नवंबर 2016 के बाद से पुराने नोट बंद हो गए हैं और उनकी जगह जो नए नोट आए हैं, वह शायद प्रेस करने का मौका आपको न दें।
हाल ही में मध्यप्रदेश शासन के उच्च अधिकारी की जेब में पड़ा 500 रुपए का नोट किसी कारण से भीग गया। इन अधिकारी ने जब नोट को देखा तो वह पूरी तरह से गीला था। इन्होंने पुरानी तरकीब आजमाते हुए अपनी धर्मपत्नी को नोट सूखाने के लिए कहा। कुछ घंटों बाद जब धर्मपत्नी ने सूखा हुआ नोट दिया तो अधिकारी ने गर्म हो चुके प्रेस की बटन बंद कर दी।
धर्मपत्नी के पूछने पर उन्होंने बताया कि नोट से अशोक स्तंभ, आरबीआई गवर्नर के दस्तखत सहित कई जगह की स्याही मिट गई है। और बिना दस्तखत के नोट असली नहीं माना जा सकता।
(फोटो में लाल घेरे में: मामूली से भीगने के बाद नोट में कई जगह की स्याही मिट गई है।)
द करंट स्टोरी से चर्चा करते हुए इन अधिकारी ने कहा किसी भी देश के लिए महत्वपूर्ण होता है विकास और उसके नागरिकों की खुशहाली। यह नोट खराब होने से मुझे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन ऐसा ही किसी दिहाड़ी मजदूर के साथ हुआ होता तो, उस बेचारे के घर में चूल्हा नहीं जल पाता।
उन्होंने आगे कहा कि, क्या नोट छापने के कारखाने की जिम्मेदारी संभालने वाले अधिकारियों की लापरवाही से ऐसा हुआ? यदि ऐसा है तो यह अत्यंत गंभीर मामला है और केंद्र सरकार को इस ओर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए।
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