द करंट स्टोरी, भोपाल। भारतीय रेलवे ने लोगों को बड़े बड़े सपने दिखाए थे कि हबीबगंज स्टेशन देश का पहला वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनेगा, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। आप चौंक गए होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है, क्योंकि रेल मंत्री से लेकर रेलवे बोर्ड के लगभग सभी ने हबीबगंज स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने का दावा किया था। आईए आपको बताते हैं कि ऐसा कैसे हो गया।
दरअसल, रेलवे बोर्ड द्वारा वर्ष 2009 में रेलवे स्टेशनों को वर्ल्ड क्लास बनाने हेतु एक मैन्युअल (DEVELPMENT OF WORLD CLASS STATIONS THROUGH PUBLIC PRIVATE PARTNERSHIP) तैयार किया गया था। इसी के आधार पर देश के रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प होना था। यहां तक कि हबीबगंज स्टेशन को वर्ल्ड क्लास बनाने के लिए इसी मैन्युअल को आधार बनाया गया था। टेण्डर जारी करने तक रेल मंत्रालय और रेल मंत्री तक हबीबगंज स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने का दावा भी किया था। इस संबंध में मंत्रालय और रेल मंत्री के कुछ ट्वीट नीचे दिए गए हैं।
आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि रेलवे ने हबीबगंज स्टेशन के कायाकल्प के लिए जारी किए टेण्डर और उसके बाद बंसल कंपनी के साथ किए गए अनुबंध एवं समस्त पत्राचार से 'वर्ल्ड क्लास' शब्द को हटा दिया है। हालांकि इस शब्द को हटाने के पीछे का कारण किसी भी रेलवे अधिकारी को पता नहीं है। रेलवे द्वारा किए जा रहे अधिकारिक पत्राचार में केवल 'रिडेवलेपमेंट वर्क आफ हबीबगंज स्टेशन' (हबीबगंज स्टेशन का पुनर्विकास कार्य) का उल्लेख होता है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल द्वारा किए गए ट्वीट में भी वर्ल्ड क्लास स्टेशन का उल्लेख है। पर आपको बता दें कि वर्ल्ड क्लास स्टेशन मैन्युअल के आधार पर हबीबगंज स्टेशन पर कार्य किए ही नहीं जा रहे।
क्यों नहीं है वर्ल्ड क्लास ?
रेलवे से जुड़े सूत्रों की मानें तो मैन्युअल में बताई गई सुविधाएं और नियम के अनुसार हबीबगंज स्टेशन में कार्य ही नहीं हो रहा। उदाहरण के लिए वर्ल्ड क्लास स्टेशन में प्लेटफॉर्म से पार्सल ले जाने का प्रावधान ही नहीं है, इसके लिए अलग से एक पार्सल कॉरिडोर बनाना होगा। जबकि हबीबगंज स्टेशन के पुनर्विकास कार्य की डिजाइन में ऐसा नहीं है। इसका मतलब यह है कि वर्ल्ड क्लास स्टेशन की सुविधाएं हबीबगंज स्टेशन में नहीं मिलेंगी!
.... TO BE CONTINUED
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