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'ग्रेविटी' से संचालित होंगे नए 'सीवरेज सिस्टम' 

Exclusive May 26, 2018       2207
'ग्रेविटी' से संचालित होंगे नए 'सीवरेज सिस्टम' 

-पंप हाउस की नहीं पड़ेगी जरूरत
-प्रदेश के 22 शहरों में हो रहा शुरु

द करंट स्टोरी. भोपाल। शायद आपने कभी सोचा भी नहीं होगा कि ग्रेविटी (गुरुत्वाकर्षण) का उपयोग शहर के सीवरेज सिस्टम में होगा। और इससे न केवल सिस्टम बेहतर होगा बल्कि बिजली की बचत भी होगी। नए बन रहे सिस्टम में सीवरेज को आगे बढ़ाने के लिए बिजली के पंप के स्थान पर ग्रेविटी का उपयोग किया जाएगा। इससे सिस्टम की आॅपरेटिंग कॉस्ट में 50 प्रतिशत की कमी आने की उम्मीद है। 

दरअसल अमृत योजना के तहत प्रदेश के 22 शहरों में नए सिवरेज सिस्टम को बनाया जा रहा है। इस सिस्टम की डिजाइन को शहर की ढलानों एवं उंचाई को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। घरों से निकलने वाले सीवरेज को शहर की मेन लाइन में डाला जाएगा। मेन लाइन में सीवरेज के बहाव की दिशा ढलान की तरफ की गई है। इससे सीवरेज ग्रेविटी का उपयोग करते हुए अपने आप आधी से अधिक दूरी तय करके एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) तक पहुंच जाएगा। जहां एसटीपी में इसका ट्रीटमेंट किया जा सकेगा। 

वर्तमान में प्रदेश की कुल शहरी आबादी में से लगभग 10 प्रतिशत ही सीवरेज सिस्टम से जुड़ी है। लेकिन इस योजना के पूरे होने के बाद लगभग 60 प्रतिशत शहरी आबादी इससे जुड़ जाएगी, जिससे शहर और नदियों को साफ रखने में काफी हद तक मदद मिलेगी। 

पंपिंग के लिए बिजली से मिलेगी निजात
सीवरेज को मेन लाइन से एसटीपी तक पहुंचाने के लिए शहर में कई पंप हाउस बनाने पड़ते। इन पंप हाउस में हाई पावर के पंप का उपयोग करना पड़ता है, जिसमें काफी ज्यादा बिजली की खपत होती है। लेकिन नए सिस्टम में ग्रेविटी का उपयोग होने से संचालन व्यय में 50 प्रतिशत से ज्यादा की बचत होगी । पंप हाउस वहीं लगाए जाएंगे जहां अति आवश्यक हो। 

सीपीसीबी के मापदंडों को पूरा करेंगे एसटीपी
नए एसटीपी उच्च तकनीक वाले लगेंगे, जिससे कि काफी हद तक पानी को साफ किया जा सकेगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशानिर्देशों के अनुसार ही एसटीपी को लगाया जा रहा है। इनसे निकलने वाले पानी को नगर निगम को दिया जाएगा जिसे कि सड़के साफ करने, आग बुझाने, आदि के कामों में उपयोग किया जाएगा। वहीं रेलवे जैसे विभागों को भी पानी दिया जाएगा, जहां पर ट्रेन और प्लेटफॉर्म आदि की सफाई में भी इसका उपयोग हो सकेगा। 

नदी किनारे बसे शहरों को प्राथमिकता
नदी के प्रदूषण को लेकर राज्य एवं केन्द्र सरकार दोनों ही सरकारें चिंतित रहती हैं। वहीं जीवनदायिनी नर्मदा नदी को साफ रखने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसको ध्यान में रखते हुए नए इस योजना के पहले चरण में उन 43 शहरों को प्राथमिकता दी है जिनकी आबादी एक लाख से ज्यादा है और जो नर्मदा या फिर अन्य मुख्य नदी के किनारे बसे हैं। 

इन निकायों में काम हो गया शुरु
-रतलाम
-कटनी
-नीमच
-गुना
-रीवा
-सतना
-सिहोर
-दतिया
-मुरैना
-सिंगरौली
-विदिशा
-सागर
-बुरहानपुर
-खरगौन
-ग्वालियर—मुरार
-ग्वालियर—लश्कर
-उज्जैन
-भिंड
-जबलपुर
-इंदौर
-भोपाल—भोजवैट लैण्ड, एडीबी एवं सीपीए
-भोपाल—शाहपुरा लेक एवं कैचमेंट

इनका कहना है:
सभी सीवरेज प्रोजेक्ट मिनिमम या नो पंपिंग आधार पर डिजाइन किए गए हैं। ग्रेविटी (गुरुत्वाकर्षण) का लाभ लेते हुए सीवरेज बहेगा। सिहोर का प्रोजेक्ट लगभग पूरा होने वाला है, जिसमें एक भी पंप नहीं लगाया गया है। पंपिंग स्टेशन नहीं लगने से संचालन व्यय में 50 प्रतिशत से ज्यादा की बचत होगी।
-प्रभाकांत कटारे, प्रमुख अभियंता, मप्र नगरीय प्रशासन एवं विकास संचनालय

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