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लोने देने में बैंकों ने नहीं दिखाई रुचि, मप्र के निकायों में विकास कार्य रुके

Exclusive Feb 20, 2020       1808
लोने देने में बैंकों ने नहीं दिखाई रुचि, मप्र के निकायों में विकास कार्य रुके

प्रवेश गौतम, भोपाल। मध्यप्रदेश में जबसे कांग्रेस सरकार आई है तबसे ही प्रदेश में वित्तीय संकट खड़ा दिख रहा है। हालात यह हैं की आम आदमी से सम्बंधित विकास कार्य प्रभावित होने लगे हैं। वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में चल रही राज्य सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं को बंद करने का प्रयास शुरू कर दिया है। प्रदेश के 378 नगरीय निकायों में मूलभूत सुविधाओं से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए बजट का संकट खड़ा हो गया है। हलात यहां तक बुरे हो चुके हैं कि पूर्व में स्वीकृत लोन (कर्ज़) की अगली किश्त तक जारी करने में बैंक रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना (सीएम इंफ्रा) के द्वितीय चरण में बैंकों द्वारा 1440 करोड़ रुपए का लोन स्वीकृत किया गया था। जिसमें प्रदेश के विभिन्न नगरीय निकायों को मूलभूत सुविधाओं एवं विकास के काम के लिए चरणवार राशि आवंटित होनी थी। लेकिन राज्य सरकार द्वारा पूर्व में आवंटित लोन की राशि का रीपेमेंट (भुगतान) समय पर नहीं किया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप बैंकों ने इसी योजना के तहत स्वीकृत लोन राशि की किश्तों को जारी करने में आनाकानी की जा रही है।

दिसंबर में चुकाया ब्याज तब आवंटित हुआ पैसा
एमपीयूडीसी (मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड) के सूत्रों की मानें तो दिसंबर महीने में कैनरा बैंक ने सरकार द्वारा ब्याज की राशि का  रिपेमेंट (किश्त का भुगतान) न करने पर लोन की अगली किश्त जारी करने से मना कर दिया था। तब राज्य सरकार ने किसी तरह ब्याज की राशि (लगभग तीन करोड़ रुपए) जमा की जिसके बाद बैंक ने लगभग 36 करोड़ रुपए का आवंटन किया था।

सड़क, नाली, पानी आदि के काम रुके
सूत्रों अनुसार कई नगरीय निकायों में आम जनता को सुविधा देने संबंधित कार्य के टेंडर जारी नहीं हो पा रहे हैं। इनमें सड़क, नाली, पानी, बिजली आदि सम्बंधित कार्य शामिल हैं। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि कई निकायों में बड़े व अच्छे ठेकेदार काम करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

सीएम इंफ्रा द्वितीय चरण के लिए नहीं मिल रहा लोन!
एमपीयूडीसी के सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि सीएम इंफ्रा के द्वितीय चरण के लिए लगभग 1800 करोड़ रुपए की योजना बनाई गई थी। इसमें राज्य सरकार द्वारा 360 करोड़ रुपए एवं 1440 करोड़ रुपए बैंक लोन के माध्यम से राशी की व्यवस्था की गई थी। 740 करोड़ रुपए कैनरा बैंक एवं 222 करोड़ रुपए के लिए इलाहाबाद बैंक ने लोन स्वीकृत किया था। शेष लगभग 222 करोड़ रुपए के लिए बैंक लोन देने में कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। हालात यह हैं कि दो से ज्यादा बार टेंडर बुलाया गया है लेकिन किसी भी बैंक ने इसमें रुचि नहीं दिखाई दी है।

...तो इसलिए बुलाया अहलूवालिया को ?
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, बैंकों ने राज्य सरकार को नगरीय निकायों के लिए लोन देने में असमर्थता जाहिर की है, जिसके चलते कई योजनाओं को वित्तीय पोषण मिलना बंद होने की कगार पर है। इसी कारण मुख्यमंत्री अधोसंरचना योजना के तीसरे चरण की फ़ाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। लगभग यही हालात सभी विभागों में हैं। राज्य सरकार अब अल्टरनेट फाइनेंसिंग (वैकल्पिक वित्त व्यवस्था) के माध्यम से विकास कार्य करवाने के लिए प्रयासरत हैं। इसी तारतम्य में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के समय केंद्रीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया को प्रदेश में आमंत्रित किया गया था।

आयुक्त सहित इंजीनियर इन चीफ ने भी साधी चुप्पी
उक्त मामले को लेकर जब द करंट स्टोरी ने नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त एवं एमपीयूडीसी के जिम्मेदार पदाधिकारी पी. नरहरी सहित एमपीयूडीसी के प्रमुख अभियंता से सवाल पूछा तो दोनों ने कोई भी जवाब नहीं दिया। दोनो अधिकारियों की चुप्पी सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी की प्रमाणिक की ओर इशारा कर रही है।

इनका कहना है:
सभी भुगतान हम समय से दे रहे हैं, यहां तक की कई बैंक लोन देने के लिए कतार में खड़े हैं।
संजय दुबे, प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन, भोपाल

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