प्रवेश गौतम, भोपाल। 11 दिसंबर 2016 को प्रारंभ हुई 'नमामि देवी नर्मदे' नर्मदा सेवा यात्रा अगले महीने यानि कि 11 मई 2017 को पूरी हो जाएगी। इस यात्रा में प्रदेश सरकार के लगभग सभी विभाग के मंत्री व अधिकारियों ने जोर शोर से हिस्सा लिया। साथ ही भाजपा के कई दिग्गजों ने भी इस यात्रा में पूरे जोश के साथ शिरकत की। हर कोई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने अपने नंबर बढ़ाने में लगा रहा।
ऐसी उम्मीद की जा रही थी, कि इस यात्रा में भाजपा से जुड़े लगभग सभी नेता व पदाधिकारी पहुंचेंगे। मीडिया ने भी इस यात्रा को भरपूर सहयोग दिया। वहीं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी इस यात्रा में शिरकत की। लेकिन नर्मदा सेवा यात्रा में जो बात सबसे ज्यादा चौंकाने वाली दिखी वह यह कि इस यात्रा में न तो 'नर्मदा पुत्र' ने शिरकत की और न ही 'गंगा पुत्री' ने। ऐसे में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा निकाली जा रही यात्रा की मंशा को लेकर कई प्रकार के संदेह खड़े हो रहे हैं।
यहां आपको बता दें कि नर्मदा सेवा यात्रा नर्मदा नदी के संरक्षण के उद्देश्य से निकाली जा रही है। इसमें जल संरक्षण व स्वच्छता को लेकर भी आमजन तक संदेश पहुंचाए जा रहे हैं।
गौरतलब है कि भाजपा व आरएसएस के वरिष्ठ नेता व वर्तमान केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे को 'नर्मदा पुत्र' कहा जाता हैं। दवे पिछले लगभग 15—20 वर्षों से नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। दवे के प्रयासों से नर्मदा नदी का अभी तक संरक्षण हो सका है। हालांकि पिछले दो सालों से केंद्रीय मंत्री बनने के बाद वह नर्मदा के लिए समय नहीं दे पा रहे। किंतु फिर भी उनके सहयोगी नदी के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। दवे ने नर्मदा को लेकर कई पुस्तकें भी लिखी हैं
नर्मदा नदी के प्रति किए गए कार्य व लगाव के चलते अनिल माधव दवे 'नर्मदा पुत्र' कहलाते हैं।
शिवराज की नर्मदा सेवा यात्रा निश्चित ही नदी व जल संरक्षण के लिए निकाली जा रही है, लेकिन नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए सालों से कार्य कर रहे 'नर्मदा पुत्र' की अनुपस्थिति इस यात्रा के असल मायने पर सवालिया निशान खड़े कर रही है।
ऐसा नहीं है कि शिवराज केवल 'नर्मदा पुत्र' को ही भूले हैं, बल्कि 'गंगा पुत्री' भी अभी तक इस यात्रा में नजर नहीं आईं है। मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती यानि कि 'गंगा पुत्री' ने भी नर्मदा नदी के लिए बहुत से कार्य किए हैं। उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने नर्मदा के लिए कई कार्य किए हैं।
'गंगा पुत्री' की गैर—मौजूदगी भी नर्मदा सेवा यात्रा में सवालिया निशान खड़ा कर रही है।
भले ही शिवराज समेत संपूर्ण भाजपा यह कहे कि नर्मदा सेवा यात्रा केवल जन जागृति व नदी संरक्षण के लिए है, इसका कोई भी राजनैतिक उद्देश्य नहीं है। लेकिन राजनैतिक पंडितों का मानना है कि इस यात्रा से भाजपा व शिवराज ने प्रदेश में अगले साल दिसंबर 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव का विगुल बजा दिया है।
यात्रा की मंशा जो भी हो, लेकिन शिवराज सरकार द्वारा पिछले कुछ सालों में किए गए कार्य व लिए गए निर्णय से न केवल नर्मदा नदी अपितु नदी किनारे वास करने वाले गरीब परिवारों पर कुछ हद तक प्रतिकूल असर पड़ा है।
ऐसे ही कुछ मामले यह हैं—
— होशंगाबाद जिले में नर्मदा नदी के पास कोका—कोला कंपनी को उद्योग के लिए जमीन आवंटित करना। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे नदी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इससे संबंधित कई शिकायतें भी मुख्यमंत्री को कीं गईं लेकिन हुआ कुछ नहीं।
— वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के विरोध में और नर्मदा के संरक्षण में कई आंदोलन किए, जिसपर प्रदेश की सरकार ने कुछ नहीं किया। वहीं इस बांध के बनने से विस्थापित हुए परिवारों को अभी तक प्रदेश सरकार ने घर नहीं दिया है।
खैर जो भी हो, इस यात्रा से नर्मदा नदी का 'भला हो या न हो' लेकिन किसी के राजनितिक भविष्य की नींव जरुर पड़ जाएगी।
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