जयपुर। 11 अक्टूबर 2007 को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हुए बम विस्फोट के केस में नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) की जयपुर में स्पेशल कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस केस में स्वामी असीमानंद एवं आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार सहित 5 अन्य को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में 3 लोगों दोषी करार दिया है।
गौरतलब है कि दरगाह में 11 अक्टूबर को शाम 6:14 पर रोजा इफ्तार के समय बम विस्फोट हुआ था। इसमें तीन लोग मारे गए थे, जबकि 30 घायल हुए थे। राजस्थान एटीएस ने जांच की शुरुआत की। 20 अक्टूबर 2010 को अजमेर के सीजेएम कोर्ट में तीन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की, लेकिन 1 अप्रैल 2011 को मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी।
कोर्ट में एनआईए ने कहा है कि स्वामी असीमानंद एवं आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार सहित 5 अन्य के खिलाफ सबूत नहीं पाए गए, जबकि 2011 में असीमानंद को इसी जांच एजेंसी ने ब्लास्ट का मास्टरमाइंड बताया था। सुनील जोशी, भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता को दोषी पाया गया है। जोशी की मौत हो चुकी है।
एनआईए ने इस केस में 13 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर किया था। इनमें से सुनील जोशी की मौत हो चुकी है, जबकि 3 अभी भी फरार हैं। स्वामी असीमानंद, देवेंद्र गुप्ता, चंद्रशेखर लेवे, लोकेश शर्मा, मुकेश वासानी, हर्षद, भारत मोहनलाल रतिश्वर, संदीप डांगे, रामचंद्र, भावेश भाई पटेल, सुरेश नायर और मेहुल को आरोपी बनाया गया था। चार्जशीट में कहा गया था कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से जुड़े कुछ हिंदू चरंमपंथियों ने वारदात को अंजाम दिया। कहा गया था 2002 में अमरनाथ यात्रा और जम्मू के रघुनाथ मंदिर पर आतंकवादी हमले का बदला लेने के लिए विस्फोट किया गया।
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