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सीमेंट कंपनी के मालिक पर बेनामी संपत्ति कानून के तहत आयकर विभाग दर्ज कर सकता है प्रदेश का पहला मामला!

मध्यप्रदेश Mar 18, 2017       2835
सीमेंट कंपनी के मालिक पर बेनामी संपत्ति कानून के तहत आयकर विभाग दर्ज कर सकता है प्रदेश का पहला मामला!

भोपाल। पिछले साल लागू हो चुके बेनामी संपत्ति कानून के तहत संभवत: प्रदेश में पहला हाई—प्रोफाइल मामला दर्ज हो सकता है। यदि ऐसा होता है तो इससे जुड़े कई बड़े नाम का भी खुलासा हो सकता है। मामला आदिवासियों की जमीन से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है, जिसे एक बड़े व्यवसायी ने किसी दूसरे नाम से खरीदा है। उक्त मामला सतना जिले का है।

अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, सतना जिले के एक बड़े व्यवसायी पवन कुमार अहलुवालिया बेनामी संपत्ति लेने के मामले में आयकर विभाग की नजर में आए थे। जिसकी प्राथमिक जांच के बाद विभाग ने मार्च के पहले हफ्ते में सतना कलेक्टर और रीवा रेंज के आईजी को मामले की जांच करने को लिखा था। कलेक्टर नरेश पॉल ने इस पूरे लेन देन की जांच के लिए एक एसडीएम की अगुवाई में टीम गठित की थी।

सतना कलेक्टर कार्यालय के मुताबिक, आयकर विभाग ने पत्र लिखकर इस बेनामी ट्रांजेक्शन की जांच करने को कहा था। एसडीएम की अगुवाई में एक टीम का गठन किया गया है। टीम की रिपोर्ट आने के बाद, आयकर विभाग को जांच रिपोर्ट भेज दी जाएगी।

सूत्रों ने बताया कि उक्त मामला सतना जिले में आदिवासियों की जमीन से जुड़ा हुआ है। विभाग को यह आशंका थी कि इस जमीन का खरीदार एक डमी व्यक्ति है। इस जमीन का सौदा करोड़ों रुपए में हुआ था, जिसके वास्तविक मालिक अहलूवालिया हो सकते हैं। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहींं हुई है।

सूत्रों की माने तो अगले हफ्ते अहलूवालिया को बेनामी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए नोटिस जारी किया जा सकता है। अहूलवालिया खनिज खनन और सीमेंट के कारोबार से जुड़े हैं। केजेएस सीमेंट इसी परिवार की मिल्कियत है। (नोट: खबर सूत्रों पर आधारित है)

क्या है बेनामी संपत्ति कानून:
-बेनामी प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन एक्ट 2016 के तहत बेनामी प्रॉपर्टी अपने नाम कराने वाले यानी बेनामीदार, वास्तविक लाभार्थी के साथ इस पूरे लेन देन में भूमिका निभाने वाले तीनों को 7-7 साल की सजा हो सकती है।
-इसके साथ ही बेनामी प्रॉपर्टी के मूल्यांकन का 25 फीसदी तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
-आयकर विभाग को बेनामी प्रॉपर्टी की गलत जानकारी देने वाले व्यक्ति को भी 5 साल की सजा और बेनामी प्रॉपर्टी के मार्केट मूल्यांकन का 10 फीसदी हिस्सा बतौर जुर्माना देना पड़ सकता है।
-1988 के काननू में किया गया संशोधन नवंबर 2016 से लागू हो गया है। इसके तहत केंद्र सरकार के पास ऐसी प्रॉपर्टी को जब्त करने का अधिकार है।
-सीधे शब्दों में कहें तो बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता लेकिन प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा रखता है।

 

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