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डब्ल्यूएचओ को कोरोनावायरस प्रकोप की पहली सूचना चीन स्थित अपने कार्यालय से मिली थी

विविध Jul 05, 2020       951
डब्ल्यूएचओ को कोरोनावायरस प्रकोप की पहली सूचना चीन स्थित अपने कार्यालय से मिली थी

द करंट स्टोरी। चीन के वुहान में पिछले साल के अंत में कोरोनावायरस के प्रकोप के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को पहली सूचना चीन ने नहीं दी थी, बल्कि वहां स्थित डब्ल्यूएचओ के कार्यालय ने दी थी। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के ताजा अपडेट में सामने आई है, जिसमें उसने बताया है कि किस तरह अबतक संस्था ने कोविड-19 से निपटा है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वुहान में निमोनिया जैसे मामलों के बारे में चीन के बजाए सबसे पहले चीन स्थित उसके कार्यालय ने सूचना दी थी।

महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ के शुरुआती कदमों की आलोचना होने के बाद विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य निकाय ने आरंभिक टाइमलाइन (समयरेखा) नौ अप्रैल को जारी की थी। इस क्रोनोलॉजी (कालक्रम) में डब्ल्यूएचओ ने महज इतना कहा था कि हुबेई प्रांत के वुहान नगर स्वास्थ्य आयोग ने 31 दिसंबर को निमोनिया के मामलों की जानकारी दी थी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि यह सूचना चीनी अधिकारियों द्वारा दी गई थी या फिर किसी अन्य स्त्रोत से मिली थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से अब नई क्रोनोलॉजी में और अधिक जानकारी दी गई है, जिससे संकेत मिलता है कि वह चीन में स्थित डब्ल्यूएचओ का कार्यालय था, जिसने 31 दिसंबर को 'वायरल निमोनिया' के मामले की सूचना दी थी।

इस सप्ताह पोस्ट की गई कोविड-19 की डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की 26 जून तक की घटनाओं को कवर करती है।

इस टाइमलाइन में अप्रैल 2020 में प्रकाशित टाइमलाइन से कहीं अधिक जानकारी दी गई है, जिससे पता चलता है कि डब्ल्यूएचओ कार्यालय ने चीन से पहले ही इस खतरनाक वायरस के बारे में सूचित कर दिया था।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इससे पहले डब्ल्यूएचओ पर चीन के प्रति उदार होने का आरोप लगाया था। ट्रम्प ने यह भी कहा था कि वायरस चीन में एक प्रयोगशाला में उत्पन्न हुआ हो सकता है। हालांकि, उन्होंने दावों का समर्थन करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया।

इस हफ्ते की शुरुआत में एक मीडिया ब्रीफिंग में संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य निकाय ने कहा कि वह अगले हफ्ते चीन में एक टीम भेजेगा, जो कोविड-19 के लिए जिम्मेदार वायरस के स्रोत की जांच करेगी, जो अब तक दुनिया भर में 525,000 से अधिक लोगों की जान ले चुका है।

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