लो कर लो बात
अब आप कहोगे की यह क्या है, तो बता दें कि यह भोपाल के एक नामचीन चच्चा की टिप्पणी हैं।
हुआ यूँ की मुझे गुरूवार को भोपाल के प्रेस कॉम्प्लेक्स के पास, जनाब चच्चा मिल गए। मैंने उनसे दुआ सलाम की तो वो बिफरते हुए बोलने लगे की,
मियां फ़र्ज़ी भतीजे, यहाँ मीडिया या पत्रकारिता की साख बचाने वाला* कोई है या सबके सब एक विशेष अधिकारी यानि की *बचकन, के आगे नतमस्तक है।
मैं कुछ समझ नहीं पाया तो चच्चा से पूछ ही लिया की हुआ क्या? उन्होंने जो कहा वो सुनकर मुझे तो यकीन नहीं हुआ पर शायद आप बेहतर समझ सकें,
चच्चा की बातें-
"मियां फ़र्ज़ी भतीजे, मध्यप्रदेश में तो बचकन सभी का बाप है जो, न केवल सत्ता चला रहा है बल्कि संगठन को भी अंगूठा दिखाये हुए है। इससे बात करो तो लगता है कि जैसे शिवराज के घर का चूल्हा यही जला रहा है और घर खर्च भी यही देता है। कही भी जाओ बचकन का ही राज़ है।"
"मामला कुछ अजीब लगा तो, संगठन (भाजपा) के कार्यालय गया। वहां भी सभी यही कहने लगे की 'बचकन की आज्ञा से ही शिवराज की अलख जागती है। एक नेता तो यह भी कह बैठे की संगठन में पद तक की बोली बचकन लगाता है।"0
मुझे कुछ, समझ आया, कुछ नहीं, इस पर मैंने चच्चा से पूछा की, साफ़-साफ़ कहिए माजरा क्या है। इस पर उनकी जो टिप्पणी आई वो सुनकर मैं हैरान रह गया।
चच्चा ने कहा कि-
"मध्यप्रदेश में गुलाम हुआ सत्ता और संगठन,
भाजपा सहित शासन, चला रहे बचकन।।
यूँ तो इनका कद और वजन है कम,
फिर भी रखते हैं शिवराज को दबाने का दम।।
गज़ब है यह (बचकन) अधिकारी,
जो है शिवराज, सत्ता और संगठन पर भारी।।
मैं तो नहीं समझा पर शायद आप समझ सकें।
बचकन: चच्चा पार्ट-2, जल्द ही....
लो कर लो बात
बचकन पर एक कविता:
सत्ता व संगठन हुआ, देखो आज गुलाम
बचकन जी के हाथ है, सियासत की लगाम
सियासत की लगाम, वजन कदकाठी छोटी
शिव माने हर बात, बिछाई ऐसी गोटी
अनजाना हैरान, हिले न एक भी पत्ता
बचकन जी के साथ, चले संगठन व सत्ता
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