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क्या मोदी सरकार की नीतियों का खामियाजा उठाएगी शिवराज सरकार?

आलेख Oct 21, 2018       2003
क्या मोदी सरकार की नीतियों का खामियाजा उठाएगी शिवराज सरकार?

प्रवेश गौतम, भोपाल। चुनाव आयोग द्वारा मप्र में आगामी 28 नवंबर को विधानसभा चुनाव की घोषणा करते ही, सभी राजनितिक दलों सहित आम आदमी भी यह कयास लगाने में जुटे हैं कि 11 दिसंबर को सत्ता का सिंहासन किसको मिलेगा। कई न्यूज चैनलों ने अपने ओपिनियन पोल में सत्ताधारी भाजपा को प्रदेश की सत्ता से बाहर होने का अनुमान जता दिया है, तो वहीं कुछ ने भाजपा में उम्मीद की अलख जगा दी।

कयास कुछ भी हो, लेकिन भाजपा बढ़ते विरोध के चलते चिंतित जरुर है। जिससे मोदी और शाह द्वारा किया गया दावा कि शिवराज सरकार ने मप्र को बीमारू से विकसित राज्य बना दिया है, पर संशय खड़ा हो गया है। यदि मप्र विकसित राज्य है और हर तरफ खुशहाली है तो फिर सर्वे में भाजपा सत्ता से बाहर जाती हुई क्यों दिख रही है? सवाल तो कई हैं, लेकिन फिलहाल कांग्रेस के लिए खुशी की खबर यह है कि, उन्हें मप्र सहित तीन राज्यों में सरकार बनाने की उम्मीद जागी है। हालांकि कांग्रेस ने सरकार बनाने लायक कोई खास काम किया नहीं है। तो फिर ऐसा क्या है कि भाजपा की लोकप्रियता प्रदेश में कम होती दिख रही है।

पिछले कई महीनों से आम आदमी महंगाई सहित कई मुद्दों से रूबरू हो रहा है। कहीं इस चुनाव में लोगों की नाराजगी इन्हीं कारणों से तो नहीं है। तो क्या यह कहना अतिश्योक्ति होगी कि प्रदेश की जनता में भाजपा से नाराजगी का कारण केंद्र सरकार की नीतियां हैं या फिर कोई और ही वजह है।

जब शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि मप्र को विकसित राज्य बना दिया है और आने वाले समय में इसे समृद्ध राज्य बना देंगे तो जनता विश्वास क्यों नहीं कर रही। सवाल जो भी हो, जितने भी हों उनका जवाब तो 11 दिसंबर को ही मिलेगा जब चुनावों के नतीजों की घोषणा होगी। हालांकि जनता में नाराजगी की कुछ वजहों में पेट्रोल, डीजल व गैस की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी आदि मुख्य हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा राफेल मुद्दे में स्पष्ट जवाब न देकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पाकिस्तान समर्थक बताने में जोर देना, एट्रोसिटी एक्ट को लेकर संसद में बिल लाना लेकिन राम मंदिर मुद्दे पर कोर्ट की आड़ लेना, जीएसटी में आ रही परेशानियां, आदि विषयों को लेकर भी जनता में नाराजगी दिख रही है।

हालांकि प्रदेश में व्यापमं, ई-टेण्डरिंग, अवैध रेत उत्खनन जैसे कई मुद्दों को लेकर भी जनता में भाजपा के लिए नाराजगी है।

दोनों ही सरकारों के काम को लेकर आम जनता इस पशोपेश में भी होगी कि मोदी सरकार बेहतर है या फिर शिवराज सरकार या फिर दोनो ही बेहतर हैं। यदि सर्वे के अनुसार परिणाम आते हैं तो, भाजपा की हार का कारण मोदी सरकार होगी या फिर शिवराज सरकार की एंटी इनकंबेंसी? इस पर मंथन आवश्यक हो जाएगा। हालांकि चुनाव में अभी एक महीने का वक्त है और जनता का मूड बदल भी सकता है। खैर जो भी हो, कांग्रेस फिलहाल ख्याली पुलाव जरूर पका रही है।

नौकरशाही का भी हो सकता है असर?
प्रदेश में एक धारणा बहुत ही आम है कि राज्य सरकार के मंत्री से ज्यादा ताकतवर नौकरशाह हैं। लगभग हर बड़े नीतिगत फैसले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही लेते हैं और इनके खास सलाहकारों में भाजपा के मंत्रियों की अपेक्षा नौकरशाहों की तादाद ज्यादा है। ऐसे में यह माना जाता रहा है कि राज्य में निर्णय लेने और लोगों का काम कराने में मंत्री का कद नौकरशाहों से कम है। कुछ राजनितिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य सरकार के विभागों में विधायकों व मंत्रियों की अनदेखी के कारण भी आम जनता में नाराजगी है।

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