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गुणवत्ता-परक शिक्षा सुनिश्चित करने की ओर अग्रसर

आलेख Mar 27, 2017       3523
गुणवत्ता-परक शिक्षा सुनिश्चित करने की ओर अग्रसर

घनश्याम गोयल। नई दिल्ली

स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग, स्कूली शिक्षा को रोजगारोन्मुखी और गुणवत्ता परक बनाने के लिए कई कदम उठा रहा है। विभाग विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों और वैश्विक बाजार के लिए युवाओं को शिक्षित, रोजगार लायक और प्रतिस्पर्धी बनाने के उद्देश्य से केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय माध्य्मिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए) योजना के अंतर्गत माध्यमिक और उच्चतर माध्यामिक शिक्षा के व्यतवसायिक घटक को कार्यान्वित कर रहा है। इसमें शिक्षित और रोजगार लायक युवाओं के बीच के अंतर को भरने, माध्यमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने वालों की दर कम करने और उच्चतर स्तर पर शिक्षा के दबाव को कम करने पर भी ध्याधन दिया गया है। इस योजना में नवीं से बारहवीं कक्षा तक सामान्य शैक्षिक विषयों के साथ ही खुदरा व्यापार, ऑटोमोबाइल, कृषि, दूरसंचार, ब्यूटी एंड वेलनेस, आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, सुरक्षा, मीडिया और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों के रोजगारोन्मुख व्यवसायिक विषय शुरू किए गए है।
राष्ट्रीय व्यवसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) से संबद्ध औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाोनों (आईटीआई) के छात्रों को शैक्षिक समानता प्रदान करने के लिए 15 जुलाई, 2016 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्वायत्ता संगठन - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूालिंग (एनआईओएस) ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के प्रशिक्षण महानिदेशालय के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्तााक्षर किए। एमओयू के तहत क्रमश: आठवीं और दसवीं कक्षा के बाद दो वर्ष का आईटीआई कोर्स करने वाले आईटीआई छात्रों/पास आउट के लिए माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक प्रमाण पत्र प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।
माध्यमिक स्त‍र पर छात्रों को गुणवत्तावरक शिक्षा प्रदान करने के लिए आरएमएसए के अंतर्गत विभिन्न पहलों को वित्तीय सहायता दी गई है। जिनमेंए छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार के लिए अतिरिक्त शिक्षक, शिक्षकों और प्रधानाचार्यों के लिए नेतृत्व प्रशिक्षण सहित इंडक्शन और इन—सर्विस ट्रेनिंग, गणित और विज्ञान किट, स्कूल में आईसीटी सुविधाएं, प्रयोगशाला उपकरण एवं सीखने को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रशिक्षण शामिल हैं।

सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) के अंतर्गत राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रशासनों को शैक्षिक मानकों में सुधार की कई पहलों के लिए समर्थन दिया गया है। इनमें नियमित इन-सर्विस टीचर्स ट्रेनिंग, नए भर्ती किए गए शिक्षकों के लिए इंडक्शन ट्रेनिंग, व्यवसायिक योग्यता प्राप्त करने के लिए गैर- प्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण, छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार के लिए अतिरिक्त शिक्षक, ब्लॉक और क्लस्टर रिसोर्स सेंटर के जरिए शिक्षकों के लिए शैक्षिक सहायता, छात्रों की क्षमता को मापने में शिक्षकों को सक्षम बनाने के लिए लगातार और व्यापक मूल्यांकन और आवश्यकतानुसार सुधार करना तथा उचित शिक्षण-सीखने की सामग्री विकसित करने के लिए शिक्षक और स्कूल के लिए अनुदान आदि शामिल हैं। बच्चों के लिए नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 में शिक्षकों के वैधानिक कर्तव्य और उत्तरदायित्व निर्दिष्ट किए गए हैं और प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पात्रता की न्यूनतम योग्यता बताई गई है। एसएसए के अंतर्गत प्राथमिक स्तर पर 150 रुपए प्रति बच्चे और उच्च प्राथमिक स्तर पर 250 रूपए प्रति बच्चे की अधितम सीमा में सरकारी/स्थानिय निकाय और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में सभी बच्चों को पाठ्य पुस्तकें प्रदान की जाती हैं। इनमें राज्य पाठ्यक्रम शुरू करने के इच्छुक मदरसे भी शामिल हैं। एसएसए के तहत वंचित समुदायों के बच्चों अर्थात सभी लड़कियों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे के लड़कों को चार सौ रूपये प्रति व्यक्ति की दर से दो जोड़े यूनिफॉर्म भी दी जाती हैं। पहली और दूसरी कक्षा में ‘पढ़े भारत, बढ़े भारत’ (पीबीबीबी) नाम के उप कार्यक्रम के जरिए शुरूआत से ही पढ़ने, लिखने और समझने तथा शुरूआती गणित कार्यक्रमों के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता भी की जाती है।
इसके अतिरिक्त सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान और आरएमएसए के उप कारक के तौर पर 9 जुलाई, 2015 को राष्ट्रीय आविष्कार अभियान (आरएए) का शुभांरभ किया। इसका उद्देश्य कक्षा के अंदर और बाहर अवलोकन, प्रयोग, निष्कर्ष निकालने और मॉडल तैयार करने के जरिए विज्ञान, गणित और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 6 से 18 वर्ष के बच्चों को शामिल करना तथा प्रोत्साहित करना है। ‍
स्कूलों को अधिक ध्यान केंद्रित और रणनीतिक तरीके से अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन करने और सुधार के लिए व्यवसायिक निर्णय लेने में मदद के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक नियोजन और प्रशासन विश्वाविद्यालय (एनयूईपीए) ने स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ‘शाला सिद्धि’ नाम का स्कू्ल मानदंड और मूल्यांकन ढांचा विकसित किया है।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) समय समय पर तीसरी, पांचवी, आठवीं और दसवीं कक्षा के छात्रों की सीखने की उपलब्धियों का राष्ट्रीय सर्वेक्षण करता है। अब तक पांचवी कक्षा के लिए राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) के चार और तीसरी तथा आठवीं के तीन राउंड हो चुके हैं। इनसे पता चला है कि पहले से चौथे राउंड के दौरान चिन्हित विषयों में छात्रों के सीखने की उपलब्धि के स्तर में काफी सुधार हुआ है। सरकार ने निर्णय लिया है कि वर्तमान वर्ष से सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्ते स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के सभी छात्रों का वार्षिक राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण किया जाएगा। प्रारंभिक सत्र में सभी कक्षाओं के सभी विषयों के लिए एनसीईआरटी द्वारा विकसित सीखने के परिणाम के अुनसार छात्रों के सीखने की क्षमता का मूल्यांकन किया जाएगा।

-(लेखक पत्र सूचना कार्यालय, नई दिल्ली में महानिदेशक (मीडिया एवं संचार) के पद पर कार्यरत हैं।)

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