द करंट स्टोरी, भोपाल। कुछ दिनों पहले 20 जून को प्रदेश की राजनीति में एक वाक्या हुआ, जिसने राजनैतिक कार्यकर्ताओं सहित आम जन को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिरकार राजनेता लोगों को थप्पड़ क्यों मार देते हैं। हाल ही में मप्र के नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के बड़े नेता अजय सिंह ने सागर में एक कार्यकर्ता को थप्पड़ जड़ दिया था।
इसके बाद से ही लोगों के मन में विचार आने लगे कि क्या नेताओं का इस तरह से लोगों को थप्पड़ मारना सही है? क्या नेता अपने पद के नशे में इतने चूर हो जाते हैं कि उन्हें कानून का भय भी नहीं रहता? या फिर कुछ और बात है।
इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी ने द करंट स्टोरी से बातचीत के दौरान बताया कि थप्पड़ मारने के पीछे अलग अलग वजह होती है। कभी किसी नेता ने कार्यकर्ता को अनुशासनहीनता के कारण थप्पड़ मारा तो कभी किसी अधिकारी के गलत करने पर।
उन्होंने आगे बताया कि अजय सिंह द्वारा थप्पड़ मारना कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई नेताओं ने सरेआम थप्पड़ जड़े हैं, जिनमें प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तक शामिल हैं।
दीपक तिवारी ने आगे बताया कि नेताओं द्वारा थप्पड़ मारने की प्रमाणित घटनाओं की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद सेठी के कार्यकाल की है। जब उन्होंने साल 1974 के आसपास राजगढ़ में एक अधिकारी को थप्पड़ मारा था। इसका उचित कारण तो नहीं है पर जैसा कि लोगों द्वारा बताया जाता है, उक्त अधिकारी ने महंगी घड़ी पहनी हुई थी, जिसे देखकर सेठी को गुस्सा आया और उन्होंने थप्पड़ लगा दिया। हालांकि सेठी जी ने ऐसा किसी जलनवश नहीं किया था, बल्कि भ्रष्टाचार के शक में किया था।
इसके बाद की घटना 2007 की है जब पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अपनी ही बनाई हुई जनशक्ति पार्टी के एक नेता को छिंदवाड़ा में थप्पड़ मारा था। भारती किसी टिप्पणी को लेकर कार्यकर्ता से नाराज थीं।
उसके बाद 2008 कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने 2008 में एक कार्यकर्ता को प्रदेश कार्यालय में थप्पड़ मार दिया था। संभवत: उन्होंने अनुशासनहीनता करने पर ऐसा किया था।
पचौरी की घटना के बाद साल 2016 में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भोपाल स्थित पुलिस कंट्रोल रूम में एक मामले की पूछताछ के दौरान एक पुलिस वाले को थप्पड़ मार दिया था।
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