• Friday, April 19, 2024
Breaking News

गेमिंग इंडस्ट्री ने की ऑनलाइन स्किल गेम्स के लिए नीति आयोग के दिशा-निर्देशों की मांग

राष्ट्रीय Jan 20, 2021       519
गेमिंग इंडस्ट्री ने की ऑनलाइन स्किल गेम्स के लिए नीति आयोग के दिशा-निर्देशों की मांग

द करंट स्टोरी। ऑनलाइन स्किल गेमिंग इंडस्ट्री ने सम्पूर्ण स्किल गेमिंग इंडस्ट्री को नियंत्रित करने हेतु नियमों को मानकीकृत करने के लिए नीति आयोग से एक नियामक की स्थापना करने की सिफारिश की है। इस सिफारिश के तहत एक मसौदे का निर्माण किया गया है, जिसका शीर्षक 'गाइडिंग प्रिंसिपल्स फॉर द यूनिफॉर्म नेशनल-लेवल रेग्युलेशन ऑफ ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म्स इन इंडिया' है, जिसमें नीति आयोग ने फंतासी खेलों के लिए एक एकल-स्व-नियामक निकाय की स्थापना का सुझाव दिया है।

फंतासी स्पोर्ट्स के क्षेत्र में भारत का स्किल गेमिंग उद्योग को अलग-अलग राज्यों के तमाम कानूनों और नियमों से गुजरना पड़ता है।

द ऑनलाइन रमी फेडरेशन समीर बर्डे ने कहा, "केपीएमजी के मुताबिक, भारत की कुल ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री करीब 5,250 करोड़ रुपये की है, ऐसे में इनके लिए एक सटीक नियमन का होना एक बेहतरीन कदम है, लेकिन इसी के साथ यह भी समझना बहुत जरूरी है कि फैंटेसी स्पोर्ट्स पूरे स्किल गेमिंग इंडस्ट्री का महज एक हिस्सा मात्र है। ऐसे में पूरे स्किल गेमिंग इंडस्ट्री का परिचालन करने के लिए समान विनियमन व्यवस्था के होने की जरूरत है।"

1960 के दशक में सुप्रीम कोर्ट ने गैम्बलिंग से गेम्स ऑफ स्किल्स को अलग कर दिया और इस तरह के स्किल गेम्स के लिए संवैधानिक अधिकार को बरकरार रखा।

गेम्स ट्वेंटी फोर इनटु सेवेन के सीईओ और सह-संस्थापक भाविन पांड्या ने कहा, "नीति आयोग को इस ओर अधिक गौर फरमाकर गेम ऑफ स्किल्स के लिए एक फ्रेमवर्क को सुझाने की जरूरत है। फैंटेसी एक तरह का स्किल गेम है, जबकि मीडिया में इसके और अन्य गेम्स ऑफ स्किल्स के बीच अंतर किया गया है। 1996 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में इसे एक ही माना गया।"

उन्होंने आगे कहा, "कानूनन फैंटेसी स्पोर्ट्स और अन्य स्किल गेमों में कोई अंतर नहीं है, बल्कि रमी जैसे कुछ स्किल गेमों के पक्ष में तो सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं, जबकि फैंटेसी के पास बस एक-दो उच्च न्यायालयों के ही फैसले हैं।"

इंडस्ट्री का मानना है कि भारत के पूरे स्किल गेमिंग इंडस्ट्री के लिए मानकीकृत नियमों के होने से बड़ी संख्या में मौजूद अवैध ऑपरेटर्स खत्म हो जाएंगे, जिनका अभी भारतीय बाजारों में बोलबाला है। इस कदम से 2025 तक सरकार को सालाना प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के रूप में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक आर्थिक मदद मिलेगी और साथ ही प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों की संख्या में रोजगार भी पैदा होंगे।

Related News

नियमों को ताक पर रख सालों से एक ही जगह डटे रेलवे कर्मचारी

Jul 20, 2022

बड़े साहब की द​रियादिली या निहित स्वार्थ! प्रवेश गौतम, भोपाल। भारतीय रेलवे  (Indian Railway) में नियमों का तो अंबार है, लेकिन इनको मानने वालों की भारी कमी है। कहने को तो भ्रष्टाचार (Corruption in Railways) पर जीरो टॉलरेंस (Zero Tolerance Policy) की नीति की बात करते हैं लेकिन कुछ अधिकारियों (Corrupt Railway Officers) के लिए मानो भ्रष्टाचार तरक्की (Promotion in Railway) की सीढ़ी है। यकीन न हो तो भोपाल रेल मंडल (Bhopal Rail Division) की...

Comment