• Friday, March 29, 2024
Breaking News

'लोकतंत्र में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता'

राष्ट्रीय Mar 13, 2021       657
'लोकतंत्र में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता'

द करंट स्टोरी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को चुनाव आयुक्त के रूप में सरकारी पदों पर आसीन व्यक्तियों की नियुक्ति नहीं करनी चाहिए। जस्टिस आर.एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि किसी सरकारी अधिकारी को राज्य चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार सौंपना संविधान का मखौल उड़ाना है। पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि चुनाव आयोग (ईसी) की स्वतंत्रता से समझौता कदापि स्वीकार्य नहीं है, और केवल स्वतंत्र व्यक्ति ही चुनाव आयुक्त होने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह सही नहीं है कि सरकारी सेवा में रहते हुए किसी सरकारी कर्मचारी को गोवा में चुनाव आयोग का प्रभार दिया गया।

कोर्ट ने कहा, "चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से लोकतंत्र में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।"

गौरतलब है कि गोवा सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने कानून के अनुसार महिलाओं के लिए वॉर्ड आरक्षित न करने के लिए राज्य के पांच नगरपालिकाओं के चुनावों को रद्द कर दिया था।

गोवा सरकार ने राज्य में नगर परिषद चुनाव कराने के लिए अपने कानून सचिव को राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उद्देश्य चुनाव आयोग की स्वतंत्रता की रक्षा करना है।
 

Related News

नियमों को ताक पर रख सालों से एक ही जगह डटे रेलवे कर्मचारी

Jul 20, 2022

बड़े साहब की द​रियादिली या निहित स्वार्थ! प्रवेश गौतम, भोपाल। भारतीय रेलवे  (Indian Railway) में नियमों का तो अंबार है, लेकिन इनको मानने वालों की भारी कमी है। कहने को तो भ्रष्टाचार (Corruption in Railways) पर जीरो टॉलरेंस (Zero Tolerance Policy) की नीति की बात करते हैं लेकिन कुछ अधिकारियों (Corrupt Railway Officers) के लिए मानो भ्रष्टाचार तरक्की (Promotion in Railway) की सीढ़ी है। यकीन न हो तो भोपाल रेल मंडल (Bhopal Rail Division) की...

Comment