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स्वच्छ भारत मिशन की आड़ में ऐसे हुई करोड़ों की हेरफेर

मध्यप्रदेश Feb 17, 2019       4182
स्वच्छ भारत मिशन की आड़ में ऐसे हुई करोड़ों की हेरफेर

भोपाल नगर निगम में फिर हुआ घोटाला

द करंट स्टोरी, भोपाल। स्वच्छ भारत मिशन में भोपाल शहर पिछले दो सालों से लगातार दूसरे नंबर पर आ रहा है। इसी को आधार बनाकर स्वच्छ भारत मिशन से जुड़े अधिकारी करोड़ों रुपए की हेरफेर कर रहे हैं। मिशन को सफल बनाने की आड़ में भोपाल नगर निगम की स्वास्थ्य शाखा के अधिकारियों ने इस साल भी करोड़ों रुपए का घोटाला कर दिया।

द करंट स्टोरी को सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार नगर निगम के कचरा उठाने वाले वाहनों से हर महीने लगभग 10 लाख रुपए के डीजल की चोरी की जा रही है। इसकी जानकारी हर जोनल अधिकारी को है, लेकिन डीजल चोरी में हिस्सा मिलने के कारण कोई भी इस पर कार्यवाही नहीं कर रहा। हद तो तब हो गई जब स्वच्छ भारत मिशन की आड़ में इन्हीं वाहनों में बेहिसाब डीजल की आपूर्ति की गई। जिसका फायदा उठाकर वाहनों से हर महीने लगभग 25 लाख रुपए का डीजल चोरी होने लगा।

ऐसे हुआ घोटाला
नगर निगम में लगभग 900 वाहन हैं, जिनमें से 600 वाहन कचरा परिवहन के लिए हैं, जो कि हर जोन के स्वास्थ्य अधिकारी के आधीन होते हैं। प्रत्येक वाहन में जो डीजल डाला जाता है, उसके उपभोग की गणना करने के लिए एक लॉग बुक होती है, जिससे य​ह निर्धारित होता है कि एक दिन में वाहन कितने किलोमीटर चला। लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी की मिलीभगत से कई गाड़ियों में फर्जी इंट्री की जाती है। उदाहरण के लिए एक गाड़ी के आदमपुर छावनी तक के तीन चक्कर बताकर नगर निगम के पंप से डीजल ले लिया जाता है। जबकि गाड़ी छावनी तक एक ही चक्कर लगाती है। इस अनुसार हर महीने लाखों के डीजल की चोरी की जाती है। ड्रायवरों द्वारा उक्त डीजल बाजार में बेच दिया जाता है। गौरतलब है कि कुछ महीने पहले नगर निगम ने विधानसभा के सामने डीजल चोरी करते हुए एक ड्रायवर को रंगे हाथों पकड़े था।

जीपीएस रिपोर्ट से हुआ खुलासा
द करंट स्टोरी ने मामले से जुड़े दस्तावेजों को खंगाला तो पता चला ​कि गाड़ियों की लॉग बुक और जीपीएस डाटा में काफी फर्क है। उदाहरण के लिए, जीपीएस डाटा अनुसार, आठ महीने में एक बड़े आरसी ट्रक की कुल रनिंग लगभग 14 हजार किलोमीटर है, इस हिसाब से इस ट्रक को कुल 7 हजार लीटर का डीजल लेना था। लेकिन लॉग बुक में लगभग 28 हजार किलोमीटर की फर्जी इंट्री करके, इसमें 15 हजार लीटर डीजल लिया गया। इस अनुसार 8 हजार लीटर डीजल की चोरी हुई जिसका बाजार मूल्य 5 लाख रुपए से ज्यादा है। ऐसे ही लगभग 400 वाहनों में गड़बड़ी की गई है। यदि सही से लॉग बुक और जीपीएस डाटा का मिलान कर लिया जाए तो पिछले लगभग 6 महीनों में ही करोड़ों रुपए के डीजल चोरी का खुलासा हो सकता है।

ड्रायवरों को देना पड़ता है कमीशन
न​गर निगम से जुड़े सूत्रों की मानें तो कचरा वाहन को चलाने के लिए ड्रायवरों को सहाय​क स्वास्थ्य अधिकारी को कमीशन देना पड़ता है। जिसकी एवज में लॉग बुक में फर्जी इंट्री की जाती है। इस कमीशन की बंदरबांट अपर आयुक्त तक होती है। बता दें कि इन्हीं अपर आयुक्त पर पहले डीजल घोटाला, स्पेयर पार्टस घोटाला, मॉड्यूलर टॉयलेट घोटाले आदि के आरोप लग चुके हैं। जिनकी जांच आज तक लंबित है।

 

 

 

 

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