द करंट स्टोरी, भोपाल। एक ओर तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित पूरी केंद्रीय सरकार लाखों करोड़ों युवाओं को रोजगार देने की बात कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार के फैसलों से देश के लाखों दिहाड़ी मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।
दरअसल, केंंद्र सरकार द्वारा एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू कर दिया गया है। जिसके बाद से इंडियन रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स एसोसिएशन (आईआरआईपीए) के बैनर तले रेलवे के कांट्रेक्टर्स ने देशव्यापी हड़ताल कर दी है। इस हड़ताल के कारण इन कांट्रेक्टरों के यहां काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों की रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है।
आईआरआईपीए के ज्वाइंट सेकेट्ररी अशोक आहूजा ने सोमवार को मीडिया से चर्चा करते हुए बताया कि औसतन एक ठेकेदार के यहां 20 दिहाड़ी मजदूर काम करते हैं। मांगों को लेकर एसोसिएशन ने 20 अगस्त से हड़ताल कर रखी है, जिसके कारण दिहाड़ी मजदूर पिछले 9 दिनों से बेरोजगार हो गए हैं। अकेले भोपाल रेल मंडल में लगभग 5000 मजदूरों की आमदनी प्रभावित हुई है। देश भर के कांट्रेक्टरों द्वारा हड़ताल पर जाने से लगभग 10 लाख मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि उनकी मांगों के लिए रेलवे बोर्ड ने एक कमेटी गठित की है। इस कमेटी को 30 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। रिपोर्ट के बाद भी यदि मांगे नहीं मानी गईं तो एक सितंबर से बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
गौरतलब है कि एक जुलाई से पूर्व दिए गए ठेकों के समय जीएसटी लागू नहीं होने से कांट्रैक्ट में केवल वैट को ही शामिल किया गया था, जो कि अधिकतम 4 प्रतिशत था। लेकिन जीएसटी के बाद यही टैक्स बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया है। जिससे सभी काट्रैक्ट में ठेकेदारों को नुकसान होगा। इसी को लेकर एसोसिएशन ने मांग रखी है कि एक जुलाई से पूर्व में दिए गए कांट्रैक्ट पर जीएसटी लागू न किया जाए या फिर अतिरिक्त टैक्स का भुगतान रेलवे करे। एसोसिएशन को जुलाई के बाद हुए कांट्रैक्ट में जीएसटी लगने से कोई दिक्कत नहीं है।
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