प्रवेश गौतम, भोपाल। 28 नवंबर को मप्र में संपन्न हुए मतदान को लेकर कई तरह की विसंगतियां सामने आ रहीं हैं। 48 घंटे के बाद स्ट्रांग रुम में ईवीएम मशीन पहुंचने का विवाद हो या फिर सीसीटीवी के लिए लगे एलईडी स्क्रीन के बंद होने का। चुनाव आयोग लगातार शक के घेरे में आ रहा है। इसी बीच द करंट स्टोरी को पता चला कि जब मतदान से पहले पोलिंग पार्टियों को जो ईवीएम मशीन दीं गईं थी, उस वक्त मशीनों की सर्किट टेस्टिंग करने से चुनाव आयोग ने कर्मचारियों को मना कर दिया था। ऐसा करना मन में कई तरह की शंकाएं पैदा करता है।
इस मामले पर द करंट स्टोरी ने कुछ पीठासीन अधिकारियों से बात की। सभी ने यह जानकारी दी की, चुनाव आयोग ने ईवीएम मशीन की टेस्टिंग करने से मना किया था। कुछ ने बताया कि 2013 के चुनाव में मशीन लेते वक्त उसकी टेस्टिंग करके ही पोलिंग पार्टियां निकलतीं थी। लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने कहा कि मशीन की कोई भी टेस्टिंग नहीं करेगा। मशीन को सीधे मॉक पोल के दौरान ही टेस्ट किया जाएगा।
क्या है सर्किट टेस्टिंग?
आपको बता दें कि ईवीएम मशीन के तीन हिस्से होते हैं जिनमें बैलेट यूनिट (जिसमें बटन दबाकर मतदान किया जाता है), वीवीपैट (जिसमें वोट किसको गया उसकी पर्ची दिखती है) एवं कंट्रोल यूनिट (जिसमें पूरा डाटा रिकॉर्ड होता है)। सर्किट टेस्टिंग करके कर्मचारी यह सुनिश्चित करता है कि बैलेट यूनिट में दबाया गया बटन, वीवीपैट में निकली पर्ची और कंट्रोल यूनिट में फीड हो रहा डाटा सही है या नहीं। यदि किसी मशीन में कोई गड़बड़ है तो उसे तत्काल बदल दिया जाए या फिर सुधार करवाया जाए। लेकिन इस बार ऐसा नहीं करवाया गया।
दो हजार से ज्यादा वीवीपैट को हुई थीं खराब
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के अनुसार 28 नवंबर को हुए चुनावों में पूरे प्रदेश में 2126 वीवीपैट मशीनों में गड़बड़ी के कारण बदला गया था। इसी प्रकार 883 बैलेट यूनिट एवं 881 कंट्रोल यूनिट को भी बदला गया था।
इनका कहना है:
केंद्रीय चुनाव आयोग के निर्देश हैं कि सर्किट टेस्टिंग मॉक पोल के दौरान ही की जाए।
- वी.एल. कांताराव, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, मप्र,
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