आईआरसीटीसी और रेलवे ने किया करार
द करंट स्टोरी, भोपाल। ट्रेनों के अंदर अवैध वैण्डरों एवं गुणवत्ता विहीन खाद्य पदार्थों की बिक्री पर लगाम लगाने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा शुरु की गई टीएसवी योजना से न केवल यात्रियों को फायदा हो रहा है बल्कि रेलवे की आमदनी भी बढ़ रही है। टीएसवी योजना से अकेले भोपाल मंडल में ही लगभग एक करोड़ रूपए की आमदनी रेलवे को हो रही है।
दरअसल, ट्रेनों में अवैध वैण्डरों द्वारा की जा रही मनमानी से यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही थी। खासकर उन ट्रेनों में जिनमें पैंट्री कार की सुविधा नहीं थी। साप्ताहिक या फिर विशेष ट्रेनों में पेंट्री न होने से यात्रियों को अवैध वैण्डरों पर निर्भरता के चलते यात्री महंगे दरों में गुणवत्ता विहीन खाद्य पदार्थ खाने को मजबूर थे। लेकिन रेलवे द्वारा मार्च 2019 में शुरु की गई टीएसवी योजना से इस समस्या से काफी हद तक निजात मिल गई है।
क्या है टीएसवी योजना?
टीएसवी यानी कि ट्रेन साइड वेण्डिंग के जरिए रेलवे उन ट्रेनों में खाद्य पदार्थ बेचने के लिए लायसेंस जारी करता है जिनमें पेंट्री नहीं है। इसके तहत वेण्डरों को रेलवे की गाइडलाइन के अनुसार तय रूट में ट्रेन के अंदर नाश्ता, लंच एवं डिनर बेचने की अनुमति होती है। रेलवे द्वारा निर्धारित दरों एवं गुणवत्ता के अनुसार यात्रियों को खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो जाता है। इस योजना से अकेले भोपाल मंडल में सालाना लगभग एक करोड़ रुपए की आमदनी होने का अनुमान है।
इन रूटों पर मिल रही सुविधा
बीना—इटारसी—बीना 19 ट्रेन
इटारसी—जबलपुर—इटारसी 38 ट्रेन
गुना—मक्सी—ग्वालियर 16 ट्रेन
इनका कहना है
टीएसवी के तहत 73 ट्रेनों में वेण्डरों को लायसेंस दिए गए हैं। इन ट्रेनों में पेंट्री की सुविधा नहीं होने से यात्रियों को असुविधा होती थी। लेकिन इस योजना के लागू होने से यात्रियों को उचित दर पर गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो रहे हैं।
नवीन अरोड़ा, डीजीएम, आईआरसीटीसी, भोपाल
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