• Thursday, March 28, 2024
Breaking News

रेलवे में कोटेशन की आड़ में हुआ करोड़ों का भ्रष्टाचार

Exclusive Oct 30, 2018       2763
रेलवे में कोटेशन की आड़ में हुआ करोड़ों का भ्रष्टाचार

प्रवेश गौतम, भोपाल। स्टेशन में गंदगी को लेकर भोपाल रेलवे स्टेशन का हाल तो सबको पता है। पर शायद कम लोगों को ही पता होगा कि भोपाल रेल मंडल में अधिकारियों की मिलीभगत के चलते आम आदमियों के पैसों का कैसे दुरुपयोग हो रहा है। आम यात्रियों के पैसों से भोपाल मंडल में कई तरह के भ्रष्टाचार हो रहे हैं। द करंट स्टोरी ने अपने 29 अगस्त के अंक में 'भोपाल रेल मंडल में करोड़ों की हेरफेर!' शीर्षक से किराए पर ली गई गाड़ियों में हुए व्यापक भ्रष्टाचार को उजागर किया था। इसी कड़ी के दूसरे पार्ट में 'रेल सप्ताह' के दौरान हुए अन्य भ्रष्टाचारों का भी खुलासा कर रहे हैं।

दरअसल, अप्रैल 2018 में भोपाल में आयोजित प्रतिष्ठित 'रेल पुरस्कार' समारोह के लिए 'भोपाल हाट' में एक रेलवे प्रदर्शिनी का आयोजन किया था। इसके अलावा उत्कृष्ट कार्य करने पर रेल मंत्री द्वारा संपूर्ण रेलवे के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को सम्मनित किया गया था। इस समारोह का आयोजन मप्र विधानसभा में किया गया था।

दोनों ही आयोजनों में साज सज्जा सहित अन्य चीजों के लिए लगभग 90 लाख रुपए के काम एक खास कंपनी 'व्यू एन सॉनिक' (नानू विडियो) को दिया गया। चूंकि इसी कंपनी को फायदा पहुंचाना था तो भोपाल मंडल के वाणिज्य एवं कार्मिक शाखा ने 7 कोटेशन के माध्यम से कंपनी को काम दे दिया। मामले में कोई पूछताछ न हो इसलिए कागजों में कम समय का बहाना बना कर कोटेशन जारी करने का आदेश लिया गया। जबकि 16 मार्च 2018 को ही रेलवे बोर्ड ने उक्त कार्यक्रम को भोपाल में करने की जानकारी दे दी थी। बावजूद इसके 90 लाख के काम के लिए कोई भी टेंडर जारी नहीं किया गया। कोटेशन को प्राप्त करने के लिए दो कमर्शियल इंस्पेक्टरों — विकास अग्रवाल एवं मधुकर निगम की ड्यूटी लगाई गई। लेकिन व्यू एन सॉनिक के मालिक ने ही अन्य फर्जी कोटेशन लगाकर सभी कामों का वर्क आॅर्डर ले लिया।

द करंट स्टोरी ने एक अन्य कंपनी से बात की, तो पता चला कि उन्होंने रेलवे में कोई कोटेशन नहीं दिया है। बल्कि नानू विडियो के मालिक के बेटे ने उनसे दो खाली लेटर हेड लिए थे। इस कंपनी के मालिक ने यह भी बताया कि उन्होंने न तो कोटेशन जमा किए और न ही उनके कोई साइन लैटर हेड में हैं। यह सब काम नानू विडियो वालों ने किया है। इस कंपनी के मालिक से हुई बातचीत के संपादित अंश:

द करंट स्टोरी: जी क्या ...... फर्म के मालिक ..... से बात हो रही है?
मालिक: जी, कहिए, मैं........ बोल रहा हूं
द करंट स्टोरी: क्या आपने अप्रैल 2018 में भोपाल डीआरएम में कोई कोटेशन या टेंडर जमा किया है?
मालिक: जी नहीं, वहां तो जमा नहीं किया।
द करंट स्टोरी: पर आरटीआई के माध्यम से मिली जानकारी में आपकी फर्म के लैटर हेड में कोटेशन मिला है?
मालिक: वह कोटेशन मैंने जमा नहीं किया। दरअसल, नानू विडियो (व्यू एन सॉनिक) वालों का बेटा आया था और मुझसे खाली लैटर हेड ले गया था। जान पहचान में हम लोग एक दूसरे को ऐसी मदद करते रहते हैं।
द करंट स्टोरी: मतलब कि आपने कोटेशन जमा नहीं किया और न ही उसमें आपके हस्ताक्षर हैं?
मालिक: जी। मैं रेलवे में किसी को जानता ही नहीं। वहां मेरी कोई सेटिंग नहीं है। ऐसे काम तो सेटिंग से ही होते हैं। मैने किसी भी कोटेशन में काम साइन नहीं किया है।
द करंट स्टोरी: क्या आप जानते हैं कि आपकी फर्म के नाम पर 7 कोटेशन जमा किए गए हैं?
मालिक: जी नहीं। मुझे तो नानू विडियो वाले ने एक या दो के लिए बताया था। लेकिन आप बता रहे हैं तो मैं उनसे बात करुंगा।
द करंट स्टोरी: क्या आपको पता है कि व्यू एन सॉनिक को लगभग 90 लाख रुपए का वर्क आॅर्डर सात कोटेशन के माध्यम से जारी किया गया था?
मालिक: सच बताउं तो, मुझे कोई जानकारी नहीं है। हम तो केवल ......... का काम करते हैं। रेलवे में स्टॉल, सजावट, टेंट आदि का काम भी था। वह सब हम नहीं करते। हम लोग तो छोटे व्यापारी हैं। रेलवे में तो सेटिंग से काम होता है।
द करंट स्टोरी: ठीक है। शुक्रिया।
(नोट: उक्त बातचीत के प्रमाण 'द करंट स्टोरी' के पास उपलब्ध हैं।)

मार्केट रेट से कई गुना ज्यादा भुगतान
रेलवे अधिकारियों की मिलीभगत का इसी से प्रमाण मिलता है कि उनके कमर्शियल इंस्पेक्टरों द्वारा कोई कोटेशन नहीं लाया गया। सेटिंग से हुए इस काम में कई चीजों की सप्लाई में मार्केट से कई गुना ज्यादा रेट पर भुगतान किया गया। उदाहरण के लिए सजावटी पौधों का मार्केट रेट 25 से 30 रुपए है जबकि रेलवे ने इसी के लिए 150 रुपए की कीमत से भुगतान किया है।

होटलों के नाम पर भी गोलमाल
इस समारोह के लिए भोपाल मंडल ने 11 होटलों में 384 कमरे बुक कराए, जिसका लगभग 70 लाख रुपए का बिल बना। विशेषज्ञों के अनुसार यदि यह काम किसी ट्रेवल कंपनी जैसे कि ओयो, मेक माय ट्रिप या फिर किसी ट्रेवल आॅपरेटर से करवाते तो लगभग 20 प्रतिशत राशि की बचत हो सकती थी। उदाहरण के लिए, डायरेक्ट जाने पर यदि एक कमरे का किराया 2000 रुपए है तो उसी कमरे को ओयो, मेक माय ट्रिप आदि से बुक करने पर 400 रुपए तक की छूट मिल सकती है। लेकिन अधिकारियों ने ऐसा न करके सीधे होटलों से संपर्क कर मनमाने रेट पर कमरे बुक करवाए। यहां गौर करने वाली बात यह है कि व्यू एन सॉनिक के एक होटल में 40 कमरों का भुगतान किया गया। जबकि सूत्र बताते हैं कि इस होटल में केवल 20 कमरों का ही उपयोग हुआ है।

इत्तेफाक या घोटाला
रेलवे के मेकेनिकल शाखा ने गाड़ियों के लिए पांच कोटेशन जारी किए। सभी कोटेशन में एक ही कंपनी 'रेडिएंट ट्रेवल्स' को काम दिया गया। इसी प्रकार भोपाल हाट और मप्र विधानसभा में हुए कार्यक्रम के लिए सात कोटेशन के माध्यम से काम करवाया गया। सभी कोटेशन में एक ही कंपनी 'व्यू एन सॉनिक' को काम दिया गया। दोनों ही कंपनियों को लगभग 1.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया जिसमें वर्क आॅर्डर के अलावा अतिरिक्त लगभग 31 लाख रुपए शामिल हैं।

Related News

जांच एजेंसी के सामने, कसूरवार से पीड़ित बनने का खेल

Feb 13, 2024

सोचिए, नहीं तो एक दिन हर व्यक्ति भ्रष्ट अधिकारियों से ब्लैकमेल होने लगेगा प्रवेश गौतम (द करंट स्टोरी, भोपाल)। मध्य प्रदेश में सरकारी अधिकारियों के विरुद्ध कई मामलों में जांच चल रही है। आलम यह है की प्रदेश सरकार इन अधिकारियों पर अभियोजन की अनुमति नहीं दे रही है। सरकार द्वारा अनुमति न देने के कई कारण हो सकते है , जिनमे राजनीतिक के अलावा अन्य कारण भी शामिल हैं। पिछले कुछ सालों में भ्रष्ट...

Comment