प्रवेश गौतम, भोपाल। भोपाल से इटारसी के बीच बन रही तीसरी रेल लाइन के निर्माण में एक और भ्रष्टाचार जुड़ गया है। पवारखेड़ा से इटारसी के बीच नई बनी तीसरी रेल लाइन में घटिया निर्माण कराकर रेलवे को हस्तांतरित करने का प्रयास विफल हो गया है। इस लाइन के निर्माण का कार्य रेलवे की सहयोगी कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के भोपाल कार्यालय के पास है। लापरवाही और अनियमित्ताओं के लिए परिचित RVNL के इस कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी ने इस बार हुई अनियमित्ता पर अपनी मौन सहमति भी दे दी है।
दरअसल, भोपाल से इटारसी के बीच बन रही तीसरी रेल लाइन के पवारखेड़ा से इटारसी के बीच पटरियों का काम पूरा करके रेलवे को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव RVNL ने भोपाल रेल मंडल को भेजा था। जब मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस सेक्शन का निरीक्षण किया तो पता चला कि बिजली सप्लाई के लिए बनाई गई ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन लाइन (ओएचई) में लगे हुए लगभग 200 खंभे या तो टेढ़े थे या फिर हिल रहे थे (नीचे देखें टेढ़े खंभों की फोटो)। मंडल अधिकारियों ने जब इसको लेकर RVNL से चर्चा की तो RVNL के अधिकारियों ने उन्हें कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया। इसके बाद मंडल अधिकारियों ने इस सेक्शन के हस्तांतरण पर आपत्ति लगाकर, उसे अपने आधीन लेने से मना कर दिया।
ओएचई खंभों में थी तकनीकि खामियां
उक्त 200 से ज्यादा खंभे में कई तकनीकि खामियां थीं। मंडल के अधिकारियों के अनुसार, कई खंभे तो 400 मिलीमीटर तक टेढ़े थे। इसका मतलब यह हुआ कि यह कभी भी कमजोर होकर गिर सकते थे, जिससे यातायात प्रभावित होता। हादसा होने की स्थिति में यात्रियों की जान भी जा सकती थी। वहीं कई खंभों की नींव इतनी कमजोर पाई गई कि पहली बारिश में ही यह उखड़ जाती।
करोड़ों का भ्रष्टाचार, आम आदमी के पैसों की बर्बादी
आपको बता दें कि एक खंभे को बनाने की लागत लगभग 35 हजार रुपए आती है। इस हिसाब से 200 खंभे की लागत लगभग 70 लाख रुपए हुई। पूरे खंभे तकनीकि रुप से सही नहीं है, और सभी को काटकर :फोटो नीचे देखें: नए खंभे लगाए जा रहे हैं। इसका मतलब है कि फिर से लगभग 70 लाख रुपए RVNL खर्च करेगा। कुल मिलाकर लगभग 1.5 करोड़ रुपए। RVNL से जुड़े अपुष्ट सूत्रों की मानें तो RVNL के जिम्मेदार अधिकारी कम गुणवत्ता वाले खंभे मंजूर करने की एवज में ठेकेदार से लगभग 15 प्रतिशत कमीशन लेते हैं। इसका मतलब हुआ कि इस मामले में लगभग 25 लाख रुपए कमीशन।
अधिकारी ने दी मौन सहमति!
इस मामले में द करंट स्टोरी ने RVNL के कार्यकारी निदेशक से संपर्क करने का प्रयास किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। उसके बाद हमने उन्हें एसएमएस भी भेजा लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। बाद में हमने यह लिखकर भेजा कि आपके द्वारा जवाब न देने पर वित्तीय अनियमित्ता पर आपकी मौन सहमति मानी जाएगी। इसके बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
देखें टेढ़े खंभों की फोटो
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