प्रवेश गौतम, भोपाल। एक ओर जहां, हाल ही में संपन्न हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजों को लेकर माहौल गर्माया हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी) के अधिकारी, गुजरात में नर्मदा नदी के जल की गुणवत्ता को लेकर उलझे हुए हैं।
प्राप्त जानकारी अनुसार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एडिशनल डायरेक्टर एके विद्यार्थी ने एमपीपीसीबी को दिनांक 31 अक्टूबर को एक पत्र लिखकर कहा है कि मप्र के कई शहरों में सीवेज को बिना ट्रीट किए हुए ही सीधे नर्मदा नदी में छोड़ा जा रहा है, जिससे नदी के पानी की गुणवत्ता में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। और गुजरात के नागरिकों को प्रदूषित नर्मदा जल मिल रहा है जिससे वहां के नागरिकों पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
दरअसल, गुजरात के एक अधिवक्ता कीर्तिकुमार भट्ट ने गुजरात एवं केंद्र सरकार के संबंधित विभागों को एक शिकायत प्रेषित की है, जिसमें मप्र पर आरोप लगाया गया है कि यहां की नगरीय निकायों द्वारा नर्मदा नदी में शहर का सीवेज बिना ट्रीट किए हुए ही सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है। इससे गुजरात के नागरिकों को नर्मदा का प्रदूषित जल मिल रहा है। सीपीसीबी ने अधिवक्ता की शिकायत को एमपीपीसीबी को प्रेषित करते हुए जवाब देने को कहा है।
बोर्ड में मचा हड़कंप
सीपीसीबी का पत्र मिलने के बाद संपूर्ण बोर्ड में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि एमपीपीसीबी ने नर्मदा नदी के पानी को 'ए' ग्रेड का दर्जा दिया हुआ है। वहीं नर्मदा नदी के पानी की गुणवत्ता के बारे में प्रदेश सरकार ने भी अपनी पीठ थपथपाई है। एमपीपीसीबी ने सभी संबंधित नगरीय निकायों से इस मामले को लेकर जवाब मांगा है।
इन शहरों में मिल रहा सीवेज
अमरकंटक
डिण्डोरी एवं शाहपुरा
जबलपुर
नरसिंहपुर एवं गोटेगांव
होशंगाबाद
सिहोर
हरदा
देवास
खरगौन
धारबड़वानी
(जैसा कि अधिवक्ता ने अपनी शिकायत में उल्लेख किया है।)
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