द करंट स्टोरी, भोपाल। रेलवे में सुरक्षा व संरक्षा के लिए कई नियम बनाए गए हैं, लेकिन लगता है कि कुछ अधिकारियों के लिए यह कायदे कोई मायने नहीं रखते। ताजा मामला भोपाल रेल मंडल की टीआरओ शाखा से जुड़ा है। इसमें लोको पायलट को तय सीमा से ज्यादा वक्त तक ट्रेन चलाने को मजबूर किया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरूप लोको पायलट थक रहे हैं व स्पाड जैसी घटनाएं हो रहीं हैं।
द करंट स्टोरी को विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, लोको पायलट राजेश चोलकर को 27 दिसंबर को शाम लगभग आठ बजे इटारसी से एक मालगाड़ी चलाने के लिए दी गई। संरक्षा नियमों के अनुसार लोको पायलट को लगातार 10 घंटे से ज्यादा ड्यूटी नहीं ली जा सकती। बावजूद इसके टीआरओ शाखा के जिम्मेदार अधिकारियों ने दबाव डालकर राजेश से लगभग 14 घंटे तक पूरी रात ट्रेन चलवाई। जिसका नतीजा यह हुआ कि 28 दिसंबर की सुबह ट्रेन रेड सिग्नल पार कर गई। हालांकि कोई दुर्घटना नहीं हुई और ट्रेन को पीछे किया गया। पूरे घटनाक्रम में रेलवे के संरक्षा नियमों को क्रू कंट्रोलर व टीआरओ शाखा के वरिष्ठ मंडल अधिकारी द्वारा नजरअंदाज किया गया।
क्रिस में देर शाम तक नहीं किया था अपडेट
सूत्रों ने जानकारी दी कि लोको पायलट की ड्यूटी को बीना स्टेशन में सुबह खत्म हो गई थी। लेकिन संबंधित शाखा के अधिकारियों द्वारा पूरा प्रयास किया गया कि 28 दिसंबर की शाम लगभग 8 बजे तक लोको पायलट का साइन आफ का समय क्रिस सॉफ्टवेयर में नहीं डाला जाए। हालांकि मामले का खुलासा होने के बाद देर रात इसको अपडेट कर दिया गया। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि ड्यूटी का समय 10 घंटे से कम दिखाया जाए और स्पाड की घटना के लिए लोको पायलट पर कार्रवाही की जा सके। आपको बता दें कि द करंट स्टोरी ने इस आशय की जानकारी 28 दिसंबर को शाम लगभग 8 बजे ही भोपाल डीआरएम सहित अन्य आला अधिकारियों को दे दी गई थी।
इनका कहना है:—
मामले की जानकारी मिली है, जांच करवाएंगे कि घटना कैसे हुई। घने कोहरे के कारण कई ट्रेनें देरी से चल रही है। लोको पायलट द्वारा तय समय से ज्यादा कैसे ट्रेन चलाई गई व स्पाड घटना की जांच करवाएंगे।
आई ए सिद्दीकी, जनसंपर्क अधिकारी, भोपाल रेल मंडल
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