निष्पादन को लेकर पार्सल शाखा और सीएमएस के बीच लटका मामला
प्रवेश गौतम, भोपाल। आम लोगों के लिए बनाई गई रेलवे पार्सल सुविधा का दुरुपयोग किस तरह से हो रहा है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि लोग अवैध ड्रग के परिवहन तक के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। मामले का खुलासा तब हुआ जब भोपाल स्टेशन के पार्सल अधिकारी ने कार्टून को खुलवाकर देखा।
द करंट स्टोरी को विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जुलाई महीने में उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्टेशन से भोपाल के लिए एक पार्सल बुक किया गया। माल के भोपाल पहुंचने के बाद कई दिनों तक कोई इसे लेने नहीं आया। उसके बाद पार्सल अधिकारी ने नियमानुसार पार्सल खुलवाकर देखा तो उसमें अवैध ड्रग पाई गई।
मामले की पड़ताल करने पर द करंट स्टोरी को पता चला कि 12 सितंबर को पार्सल विभाग द्वारा ड्रग के संबंध में उसके निष्पादन एवं निपटान के लिए भोपाल के रेलवे अस्पताल से संपर्क किया गया। रेलवे अस्पताल से जुड़े अधिकारियों ने जब ड्रग की जांच की तो पाया ड्रग के कवर (पैकिंग) में उसके निर्माण, बैच नंबर आदि प्रिंट नहीं हैं। ऐसे में रेलवे इसको उपयोग में नहीं ले सकता। इसको लेकर रेलवे अस्पताल के वरिष्ठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा 15 सितंबर को पार्सल कार्यालय को सूचित किया गया।
हालांकि मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रेलवे की पार्सल सुविधा का कई लोगों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। प्रति महिने ऐसे कई पार्सल खुलते हैं जिन्हें काफी समय से कोई लेने नहीं आया है।
तो हो सकता है बड़ा खुलासा...
मामले से जुड़े विभागीय सूत्रों की मानें तो रेलवे पार्सल की सुविधा लेकर कई तरह के ड्रग्स देश भर में भेजे जाते हैं। लेकिन कार्टून में बंद ड्रग्स की जांच नहीं हो रही। ऐसे में ड्रग के नाम पर जहरीला पदार्थ भी सप्लाई किया जा सकता है। वहीं कई सरकारी अस्पतालों में ड्रग सप्लाई करने वाले भी इस गोरखधंधे में लिप्त हो सकते हैं।
Zydus कंपनी की है ड्रग?
जो ड्रग रेलवे पार्सल आॅफिस में मिली उसमें नामचीन कंपनी Zydus का नाम प्रिंट है। कंपनी के अहमदाबाद कार्यालय से द करंट स्टोरी ने जब संपर्क किया तो कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन की मैनेजर ने ईमेल करने को कहा। कंपनी उसके बाद ही अपना पक्ष रखेगी। कंपनी को इमेल भेजा गया है। उनके जवाब अभी प्राप्त नहीं हुआ है।
इनका कहना है:
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी बायो मेडिकल वेस्ट रूल्स के नियमानुसार ही इस ड्रग का निष्पादन किया जाएगा। ड्रग्स के बारे में पता चलते ही, उसके निष्पादन के लिए रेलवे अस्पताल से संपर्क किया है।
विनोद तामोरी, सीनियर डीसीएम, भोपाल रेल मंडल
बिना बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग डेट आदि के कोई भी दवा निर्माता सप्लाई नहीं कर सकता। यदि ऐसी कोई भी ड्रग किसी को भी मिलती है तो उसे तत्काल कंट्रोलर फूड एंड ड्रग को सूचित करना चाहिए।
पल्लवी जैन, आयुक्त स्वास्थ्य विभाग, मप्र शासन
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