द करंट स्टोरी, भोपाल। पश्चिम मध्य रेलवे के भोपाल रेल मंडल अंतर्गत इंजीनियरिंग शाखा में नियम कायदे कोई मायने नहीं रखते। अधिकारियों की मनमानी इतनी है कि टेंडर जारी करने के लिए जरूरी नियमों को भी ताक पर रख दिया जाता है। इसका ताजा उदाहरण है भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर एक के रिडेवलेपमेंट कार्य के लिए जारी किया टेंडर। अधिकारियों को यह टेंडर जारी करने की इतनी जल्दी थी कि जीएडी की अन्य शाखाओं से मंजूरी ही नहीं ली गई।
गौरतलब है कि स्टेशन परिसर में किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए समस्त शाखाओं (इलेक्ट्रिकल, सिग्नलिंग, सेफ्टी, मेकेनिकल, टीआरओ, टीआरडी आदि) से मंजूरी लेना अनिवार्य है। यह एक प्रकार का अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) है। रेलवे में इसको जीएडी (General Arrangement Drawing) की मंजूरी कहते हैं।
आपको बता दें कि लगभग 16 करोड़ रूपए की लागत से भोपाल रेलवे स्टेशन की बिल्डिंग का रिडेवलेपमेंट हो रहा है। इसके लिए दिसंबर 2018 में टेंडर जारी किया गया था। लेकिन भ्रष्टाचार में डूबे इंजीनियरिंग शाखा के अधिकारियों द्वारा इतना जरूरी काम को नजर अंदाज करते हुए टेंडर जारी कर दिया गया।
आरटीआई में किया भ्रमित करने का प्रयास
पूरे मामले को लेकर जब सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन किया गया तो इंजीनियरिंग शाखा ने जवाब देने की बजाय आवेदन को इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (आईआरएसडीसी) को भेज दिया। इसके बाद आईआरएसडीसी ने जवाब दिया कि उनके द्वारा भोपाल रेलवे स्टेशन रिडेवलपमेंट का कोई भी टेंडर जारी नहीं किया गया। आपको बता दें कि आरटीआई आवेदन में स्पष्ट पूछा गया था कि भोपाल रेलवे स्टेशन में हो रहे निर्माण के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई जाए। इंजीनियरिंग शाखा द्वारा जानकारी देने में टालमटोल करना पूरे मामले को संदेहास्पद बना रहा है।
इनका कहना है:
यह टेंडर मेरे कार्यकाल से पहले का है। पूरी संभावना है कि तत्कालीन डीआरएम शोभुन चौधुरी ने इसे मंजूरी दी होगी। हालांकि इस बिल्डिंग में यात्री सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। कुछ कार्य बाद में भी होते रहते हैं।
उदय बोरवनकर, डीआरएम, भोपाल रेल मंडल
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