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रेल मंत्री के नाम पर भोपाल मंडल में हुई करोड़ों की हेरफेर!

Exclusive Aug 30, 2018       13791
रेल मंत्री के नाम पर भोपाल मंडल में हुई करोड़ों की हेरफेर!

करोड़ों के काम को कोटेशन से करवाया...
डीआरएम सहित कई अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध...

प्रवेश गौतम, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथन 'न खाउंगा और न खाने दूंगा' का रेलवे अधिकारियों द्वारा खुलेआम मजाक बनाया जा रहा है। कुछ खास ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए 'रेल मंत्री पीयूष गोयल' के नाम पर भोपाल रेल मंडल में करोड़ों रुपए की हेरफेर का मामला सामने आया है। दो खास ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए भोपाल मंडल ने करोड़ों के काम को 10-10 लाख रुपए के कोटेशनों से करवा दिया। वहीं इन कोटेशन को किसी भी समाचार पत्र या वेबसाइट में नहीं डाला गया। जबकि नियमानुसार ऐसा करना अनिवार्य है।

दरअसल, रेलवे का सबसे प्रतिष्ठित 'राष्ट्रीय रेल सप्ताह पुरस्कार समारोह' के 63वें आयोजन की जिम्मेदारी इस साल भोपाल रेल मंडल को दी गई थी। इस समारोह का आयोजन 11 से 18 अप्रैल 2018 को भोपाल में किया गया था। इस आयोजन में केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल, केन्द्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा, रेलवे बोर्ड के चेयरमेन अश्वनी लोहानी, रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी सहित बड़ी संख्या में रेलवे अधिकारी एवं कर्मचारी भी पहुंचे थे। इस आयोजन को करवाने के लिए रेलवे बोर्ड द्वारा लगभग 2.5 करोड़ रुपए की राशी स्वीकृत की गई थी। इसी राशी को खर्च करने में भोपाल रेल मंडल ने कई नियमों का उल्लंघन किया।

द करंट स्टोरी ने इस पूरे मामले से जुड़े लोगों एवं दस्तावेजों की पड़ताल की। हमारी पड़ताल में सामने आया कि भोपाल रेल मंडल के अधिकारियों द्वारा एक ही तरह के काम को अलग अलग हिस्सों में तोड़कर कोटेशन के माध्यम से करवाया गया। कोटेशन जारी करने से लेकर ठेकेदार को भुगतान करने में कई जगह गड़बड़ियां पाई गई।

पूरे मामले का, द करंट स्टोरी दो पार्ट में ,खुलासा करेगा। पहली कड़ी में मेकेनिकल शाखा से संबंधित गड़बड़ियों को आप समझें, दूसरी कड़ी में अन्य गड़बड़ियों का खुलासा होगा।

क्यों जारी नही किया गया टेंडर?
आयोजन के लिए गाड़ियां किराए से लेने एवं आयोजन स्थल में साज सज्जा एवं प्रदर्शन तक जो भी काम होने थे, उनका बजट 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का था। नियमानुसार, बड़ी लागत वाले कार्य टेंडर के माध्यम से करवाए जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा करने पर अधिकारियों के कमीशन का गणित बिगड़ जाता। इसको देखते हुए, अधिकारियों ने सभी कामों को तोड़कर 10-10 लाख रुपए के कोटेशन जारी किए। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि डीआरएम को 10 लाख रुपए तक के काम कोटेशन से करवाने के लिए अधिकृत हैं।

बिना टेंडर, किराए पर ली गई 172 गाड़ियां
रेलवे अधिकारियों एवं अन्य कार्यों हेतु एक सप्ताह (11 से 19 अप्रैल 2018) के लिए 172 गाड़ियों को किराए पर लिया गया। इन गाड़ियों का एस्टीमेट लगभग 34 लाख रुपए बना। लेकिन एक खास कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए गुपचुप तरीके से गाड़ियों को चार ग्रुप में बांटा गया। ग्रुप ए में 54, ग्रुप बी में 67, ग्रुप सी में 17 और ग्रुप डी में 34 गाड़ियों के लिए कोटेशन मंगवाए गए। गौरतलब है कि ग्रुप में गाड़ियों की संख्या ऐसे बांटी गई, जिससे कि किसी भी ग्रुप में कोटेशन 10 लाख रुपए से ज्यादा न हो।

इस मरह तोड़ी गई गाड़ियों की संख्या

ग्रुप ए:
मर्सिडीज एसी: 01
फार्चुनर एसी: 02
इनोवा क्रिस्टा एसी: 14
इनोवा एसी: 25
डीजायर/इंडिगो/इटियोस: 12

ग्रुप बी:
इनोवा एसी: 67

ग्रुप सी:
एसी बस (40 सीटर) : 09
डीजायर/इंडिगो/इटियोस: 08

ग्रुप डी:
टवेरा/बोलेरो: 25
एसी बस (40 सीटर) : 01
ट्रक (04 लेबर सहित) : 08

पूरा घटनाक्रम:
04 अपैल: डीआरएम ने 04 कोटेशन जारी करने की अनुमति दी। 06 कंपनियों ने कोटेशन को प्राप्त भी कर लिया। जबकि कोटेशन 05 से 06 अप्रैल दोपहर 12 बजे तक मिलना था।
06 अप्रैल: 06 कंपनियों ने कोटेशन जमा किए। अधिकारियों द्वारा कोटेशन खोले गए। गौरतलब है कि कुछ ठेकेदारों के आवेदन पर कोई तारिख का उल्लेख भी नहीं है।
07 अप्रैल: कोटेशन कमेटी ने चारों ग्रुपों के लिए एक ही कंपनी को सबसे कम दर प्राप्त होने के आधार पर चुना और स्वीकृत पत्र जारी करने के लिए नोटशीट बनाई।
09 अप्रैल: ग्रुप डी में उल्लेखित 8 ट्रकों को शहर की सीमा में आवागमन करने के लिए कलेक्टर कार्यालय से अनुमति पत्र क्रमांक 1187/अजिद/2018 दिनांक 09/04/2018, जारी हुआ। नोट: अभी तक स्वीकृति पत्र/वर्क आर्डर जारी नहीं किया गया और रेलवे ने ट्रकों के नंबर सहित कलेक्टर को आवेदन भी दे दिया।
10 अप्रैल: डीआरएम ने नोटशीट में मंजूरी दी और चारों ग्रुपों के स्वीकृति पत्र एक ही कंपनी 'रेडिएंट ट्रेवल्स' को जारी कर दिए गए। जिसमें ग्रुप ए के लिए 5 लाख 90 हजार 373 रुपए, ग्रुप बी के लिए 8 लाख 01 हजार 990 रुपए, ग्रुप सी के लिए 07 लाख 350 रुपए एवं ग्रुप डी के लिए 09 लाख 50 हजार 644 रुपए स्वीकृत किए गए। इसी दिन रेडिएंट कंपनी ने एडवांस के लिए पत्र भी जारी कर दिया। एडवांस भुगतान के लिए रेलवे ने इस पत्र को आगे भी बढ़ा दिया।
12 अप्रैल: रेलवे के मेकेनिकल शाखा ने बिना देरी किए 9 लाख 13 हजार रुपए रेडिएंट कंपनी के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दिए।
09 मई: वित्त शाखा ने आयोजन में हुए खर्च का संपूर्ण ब्यौरा मांगा।
16 मई: 30 लाख के काम के लिए, बाद में डीआरएम ने 36 लाख के भुगतान की मंजूरी दे दी, जो कि 25 मई को रेडिएंट के बैंक के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया।

इन सवालों के जवाब में है गड़बड़ियां
- सभी गाड़ियों के लिए एक ही टेंडर या कोटेशन क्यों नहीं मंगवाए गए?
- कोटेशन को किसी भी सार्वजनिक स्थानों पर प्रदर्शित क्यों नहीं किया गया?
- इनोवा गाड़ी को एक ही ग्रुप में क्यों नहीं रखा गया?
- एसी बस को भी एक ही ग्रुप में क्यों नहीं रखा गया?
- जब कोटेशन 5 अप्रैल से मिलना था, तो सभी ठेकेदारों को 04 अप्रैल को ही क्यों और कैसे दे दिया गया?
- टवेरा और बोलेरो क्यों लिखा गया, जबकि इनोवा भी उसी सेगमेंट की गाड़ी है?
- कोटेशन में कंपनी की अर्हताओं का कोई उल्लेख क्यों नहीं किया गया?
- जब वर्क आॅर्डर 10 अप्रैल को जारी हुए तो, कलेक्टर कार्यालय से 09 अप्रैल को मंजूरी कैसे जारी हो गई?
- जब कोटेशन 30 लाख रुपए के थे तो किस आधार पर अतिरिक्त 06 लाख रु का भुगतान किया गया?


बिल में भी गड़बड़ी
काम पूरा होने के बाद, रेडिएंट कंपनी द्वारा जो बिल दिए गए थे, उनमें भी कई गड़बड़ियां सामने आईं हैं। द करंट स्टोरी के पास समस्त दस्तावेज मौजूद हैं। दस्तावेजों की पड़ताल करने पर पता चला कि जो नंबर की गाड़ी का बिल दिया गया है वह गाड़ी उस कैटेगरी की नहीं है। उदाहरण के तौर पर टवेरा/बोलेरो के लिए दिए गए बिल में इंडिका गाड़ियों के नंबर पाए गए। वहीं कई गाड़ियां प्रायवेट नंबर की पाई गईं।
- 40 सीटर एसी बस के स्थान पर 35 सीटर बस दी गई।
- टवेरा/बोलेरो के रेट एवं कैटेगरी पर इंडिका जैसी छोटी गाड़ियां दी गई।
- कई प्रायवेट गाड़ियों को भी किराए पर लगाया गया!

इनका कहना है:
यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है, आपने बताया है तो रेल मंत्री से बात करुंगा और यदि कहीं कोई गड़बड़ हुई है तो दोषी अधिकारियों पर कार्रवाही सुनिश्चित की जाएगी।
आलोक संजर, सांसद, भोपाल मप्र


आपने जानकारी दी है, मामले को दिखवाता हूं।
अश्वनी लोहानी, चेयरमेन रेलवे बोर्ड, नई दिल्ली


जो गाड़ियां दी गई हैं, उन्हीं का बिल दिया गया है। कहीं पर कम सीट की बस दी गई है तो कहीं पर ज्यादा सीट की बस भी दी गई है। सभी बिलों को रेलवे अधिकारियों ने सत्यापित किया है।
राकेश चोपड़ा, निदेशक, रेडिएंट ट्रेवल्स, भोपाल


प्रायवेट नंबर की गाड़ियों का उपयोग यदि टैक्सी में हुआ है तो संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाही की जाएगी।
संजय तिवारी, एआरटीओ, भोपाल


अगले पार्ट में:
भोपाल हाट, विधानसभा और होटलों की बुकिंग में भी हुआ कोटेशन का खेल। पूरा मामला जानने के लिए  क्लिक करें -

रेलवे में कोटेशन की आड़ में हुआ करोड़ों का भ्रष्टाचार

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