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भोपाल (मामला 20 जनवरी 2017 का है )
रेलवे मेें कुछ भी कभी भी हो सकता है
-लो कर लो बात
हुआ यूं कि, कई दिनों बाद जब मैं भोपाल के डीआरएम कार्यालय पहुंचा तो चाय की दुकान के पास सिगरेट के धुंए के बीच अचानक ही आवाज आई कि, मियां फर्जी भतीजे कैसे हो कब आना हुआ भोपाल।
मैंने देखा तो चच्चा मुंस्कुराते हुए कहने लगे कि फ़र्ज़ी भतीजे रेलवे भी अजीब है, जो अपने वरिष्ठ अधिकारियों का स्वागत फटे हुए तौलिए से करती है।
आखिर हुआ क्या चच्चा।
चच्चा ने ठहाके लगाते हुए कहा कि मियां फर्जी भतीजे, हाल ही में जब तीसरी लाइन का निरीक्षण करने के बाद रेलवे के सेफ्टी कमिश्नर (सीआरएस) श्री सुशील चंद्रा अपनी थकान मिटाने रेलवे के नर्मदा गेस्ट हाउस के कमरा नंबर 1बी में पहुंचे तो भड़क गए। इस पर वहां मौजूद सभी अधिकारी कांप उठे। लेकिन साहब ने उस वक्त कुछ नहीं कहा।
अगले दिन साहब ने (उनके विशेष कोच-आरए) रेलवे अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि जब अधिकारियों का स्वागत ऐसे होता है तो आम यात्री का क्या हाल होता होगा?
आखिर हुआ क्या था चच्चा
मियां फजी भतीजे, दरअसल चंद्रा साहब के कमरे मेें जो तौलिया रखी थी वह फटी हुई थी, इतना ही नहीं, तौलिया धुली भी नहीं थी।
खैर जो भी है बढिया है प्रभु की रेल सेवा, कम से कम आम यात्री और अधिकारियों में कोई भेदभाव तो नहीं करती।
इतना कहकर चच्चा धुएं के छल्ले में गायब से हो गए और मैं चल दिया अपने काम पर।
-लो कर लो बात
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